रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा है कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) के निजीकरण को लेकर अभी काफी कम जानकारियां उपलब्ध हैं. अभी तक BPCL की खरीद करने वाली कंपनी के लिए कर्मचारियों के संरक्षण के संदर्भ में अंकुश, संपत्ति को बेचने और निवेश की लॉक-इन अवधि को लेकर चीजें साफ नहीं हैं.
रेटिंग एजेंसी फिच ने शुक्रवार को कहा है कि इसके अलावा रसोई गैस सिलेंडर तथा मिट्टी के तेल पर BPCL के उपभोक्ताओं को भविष्य में दी जाने वाली सब्सिडी तथा पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करने को लेकर स्वतंत्रता के मोर्चे पर भी अभी तस्वीर साफ नहीं है.
सरकार देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी BPCL में अपनी पूरी 53.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. वेदांता लि. सहित तीन कंपनियों ने BPCL के अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाई है.
फिच रेटिंग्स ने अपने बयान में कहा है, ‘‘हालांकि, BPCL के विनिवेश को लेकर संभावित खरीदारों की पूछताछ के बाद कुछ चीजों पर प्रगति दिखने लगी है. लेकिन, विनिवेश की दिशा में कई ऐसे कदम हैं जो अभी पूरे नहीं हुए हैं. BPCL के निजीकरण को लेकर कई सवाल अभी भी ऐसे हैं जिन पर तस्वीर को साफ किया जाना बाकी है.’’
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि वह इस पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए है और जब इस दिशा में प्रगति होगी तो उचित रेटिंग कार्रवाई की जाएगी.
हालांकि, सरकार ने पिछले दिनों कहा है कि जिन सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया जाएगा उनके कर्मचारियों और दूसरे मसलों का वह ध्यान रखेगी. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में बताया था कि सरकार ऐसी कंपनियों में छंटनी नहीं होने देगी.
उन्होंने कहा था कि सरकारी कंपनियों के विनिवेश के दौरान कर्मचारियों की नौकरी बचाना और दूसरी सहूलियतें बरकरार रखने पर सरकार पूरी तरह से संजीदा है. उन्होंने कहा था कि सरकार ने इस बारे में एक स्पष्ट और पारदर्शी नीति बनाई है.