कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के भीषण प्रकोप और मांग पर इसके हानिकारक असर की वजह से भारत में मई 2021 के दौरान मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की गतिविधियों में गिरावट देखने को मिली है.
आईएचएस मार्किट इंडिया (IHS Markit) मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में गिरकर 50.8 पर आ गया, जो अप्रैल में 55.5 पर था. इस दौरान कंपनियों के पास नया काम और उत्पादन पिछले 10 महीनों में सबसे कम था.
अगर पीएमआई (PMI) 50 से ऊपर है, तो इसका मतलब होता है कि गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन या गिरावट को दर्शाते हैं.
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्र के एसोसिएट निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘‘भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में तनाव बढ़ने के संकेत हैं, क्योंकि कोविड-19 संकट तेज हो गया है. मौजूदा बिक्री, उत्पादन और कच्चे माल की खरीद मई में काफी कमजोर हो गई और ये पिछले दस महीनों में सबसे धीमी गति से वृद्धि की ओर इशारा कर रहा है वास्तव में, सभी सूचकांक अप्रैल से नीचे थे.’’
हालांकि, लीमा ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में हानिकारक प्रभाव पिछले साल की तुलना में काफी कम गंभीर हैं.
GDP: सरकार के जारी आर्थिक ग्रोथ के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 7.3 फीसदी की गिरावट आई है. वहीं, वित्त वर्ष 2019-20 में 4 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी.
वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही – जनवरी से मार्च के बीच 1.6 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है. चौथी तिमाही में GVA (ग्रॉस वैल्यू ऐडेड) 3.7 फीसदी पर आया है. हालांकि, इस दौरान ज्यादातर इंडस्ट्री अनलॉक थी और अर्थव्यवस्था की पाबंदियां पिछले पूरे साल के मुकाबले सबसे कम थीं.
वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग और कंसट्रक्शन सेक्टर से बढ़त देखने को मिली थी. जनवरी से मार्च के दौरान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 6.9 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली जबकि दिसंबर तिमाही में ये 1.7 फीसदी पर थी. वहीं पिछले साल मैन्युफैक्चरिंग में 4.2 फीसदी की गिरावट आई थी.
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