देश में तेजी से हो रहे डिजिटलाइजेशन के बीच साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है. साइबर अपराधी लगातार लोगों का डाटा लीक करने और बैंकिंग डिटेल्स तक पहुंचने के हथकंडे अपनाते रहते हैं. भारत में भी पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम की घटनाएं बहुत ज्यादा बढ़ी हैं. इसके साथ ही, भारत में मालवेयर हमलों की संख्या में भी बड़ी बढ़ोतरी दिख रही है. इस बीच सरकार ने अभी एक नए मैलवेयर डैम ‘Daam’ की पहचान की है. इसके लिए इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम यानी CERT-IN ने एक चेतावनी भी जारी की है, जो एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर्स के लिए है.
कितना खतरनाक मैलवेयर Daam?
नया मैलवेयर Daam एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर हमला कर रहा है. यह मोबाइल की कॉल रिकॉर्ड, कॉन्टैक्ट्स हिस्ट्री और कैमरा सहित सभी पर्सनल जानकारी को हैक कर लेता है. सबसे खतरनाक बात यह है कि Daam मैलवेयर एंटी-वायरस प्रोग्राम को बायपास कर देता है. CERT-IN की रिपोर्ट के मुताबिक एंड्रॉइड मैलवेयर थर्ड पार्टी वेबसाइटों या ऐप्स से फैल रहा है, जो डिवाइस में इंस्टॉल होने के बाद सुरक्षा जांच को बाइपास कर देता है और उसके संवेदनशील डाटा चोरी करता है.
क्या है कहती है रिपोर्ट?
भारत में वर्ष 2022 में मैलवेयर हमलों में 31 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है. सोनिकवॉल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि इससे कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस आंकड़े को देखने के बाद, साइबर हमलों से बचने के लिए सॉफ्टवेयर सुरक्षा बढ़ानी होगी. इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में ‘घुसपैठ के प्रयासों’ में 10 प्रतिशत वृद्धि और ‘रैन्समवेयर हमलों’में 53 प्रतिशत का हैरान कर देने वाली बढ़ोतरी देखने को मिली है. सोनिकवाल अमेरिका की साइबर सुरक्षा समाधान प्रदाता कंपनी है.
सोनिकवाल में एशिया-प्रशांत एवं जापान (एपीजे) के उपाध्यक्ष देबाशीष मुखर्जी ने बताया कि अन्य क्षेत्रों में मैलवेयर हमलों की संख्या में कमी आई है लेकिन भारत में ये खतरनाक स्तर पर हैं. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी हमले के लिए भारत जैसे देशों में अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं. ऐसे में भारत को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है.
क्या होता है मैलवेयर?
मैलवेयर दो शब्दों Malicious Software से बना है. इसको शॉर्ट फॉर्म में कहते हैं मैलवेयर. ये ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसको मलेशियस यानी कि बुरे काम के लिए बनाया जाता है. मैलवेयर जानबूझ कर मोबाइल या कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किया जाता है. साइबर अपराधी इसका इस्तेमाल आपका डेटा चुराने और पैसों की धोखाधड़ी के लिए करते हैं. आप जब वायरस, ट्रोजन , स्पाईवेयर, रैंसमवेयर जैसे नाम सुनते हैं तो ये सारे मैलवेयर के ही अलग-अलग प्रकार हैं जो आपके डिवाइस में एक बार आ जाए तो उसमें रखे डेटा को चोरी कर सकते हैं, डिलीट कर सकते हैं और आपके डिवाइस की अनऑथराइज्ड एक्सेस दे सकते हैं.
मैलवेयर से कैसे करें बचाव?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट दिव्या तंवर कहती हैं कि मैलवेयर आपके डिवाइस तक पायरेटड सॉफ्टवेयर, ईमेल, और फर्जी विज्ञापनों से पहुंचता है. सबसे आम तरीका है कि आपको एक ऐसा मेल या SMS भेजा जाता है जिसमें एक लिंक होता है और इसे क्लिक करने के लिए आपको उकसाया जाता है. कभी इनाम का लालच देकर तो कभी डराकर जैसे कि बकाए टैक्स का झांसा देकर. इस लिंक को क्लिक करने पर शायद आपको उस मेल में कुछ समझ में न आए लेकिन मैलवेयर के जरिए आपके डिवाइस की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है. इससे बचने के लिए अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लिकेशन को अपडेट रखें. अनजान ईमेल के अटैचमेंट लिंक पर क्लिक न करें. डेटा का बैकअप रखें. एंटीवायरस सॉफ्टवेर का इस्तेमाल करें और हमेशा लाइसेंस्ड सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन ही इंस्टॉल करें.
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