मद्रास हाईकोर्ट ने नई कारों के लिए अपने पांच साल के बंपर टू बंपर इंश्योरेंस ऑफर (Bumper To Bumper Insurance Offer) के फैसले को निरस्त कर दिया है. जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने एक याचिका दायर की थी जिसमें उसने बंपर टू बंपर की परिभाषा पर स्पष्टीकरण मांगा था क्योंकि यह एक स्टैंडर्ड इंडस्ट्री पालन नहीं करती थी. कोर्ट ने कहा है कि इससे जुड़ी अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी. इंडस्ट्री ने ये भी सफाई मांगी है कि इस आदेश के तहत कौन कौन से वाहन शामिल होंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट का ये आदेश प्राइवेट कार को लेकर दिया गया था. आधिकारिक सूत्रों का ये भी कहना है कि इस आदेश को लेकर बहुत स्पष्ट जानकारी नहीं कि क्या ये नियम सिर्फ कार पर लागू होगा या सभी वाहनों पर लागू होगा. आदेश को इससे जुड़े पक्षों की राय जैसे ई-बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ऑफ इंडिया को ध्यान में रखने की जरूरत है.
कुछ गैर-लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे कॉन्प्रेहेन्सिव बीमा कवर की मांग में इजाफा होगा. ये एक इम्पलिमेंटेशन का एक मुद्दा रहा है क्योंकि राज्यों के अधिकारियों को अक्सर यह समझाना और यह सुनिश्चित करना मुश्किल होता है कि सभी वाहनों को अनिवार्य रूप से थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस कवर मिलता है. इस पर मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इम्प्लीमेंटेशन के लिए राज्य परिवहन विभाग जिम्मेदार है.
इंडस्ट्री के एक अधिकारी के सुझाव के मुताबिक चालक के अलावा सभी वाहन में रहने वालों को थर्ड पार्टी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए और तीसरे पक्ष के बीमा के तहत कवर किया जाना चाहिए। इससे उन्हें अनलिमिटेड दावे प्राप्त करने के साथ-साथ दावा अनुपात में इजाफा करने में मदद मिलेगी.