ऊंची पेंशन का मसला हल होने से पहले ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) पेंशन खाताधारकों को बड़ा झटका दे सकता है.. पेंशन के बोझ को कम करने के लिए संगठन पेंशन निर्धारण के फॉर्मूले में बदलाव की तैयारी कर रहा है. इसके तहत पेंशन योग्य सैलरी की गणना नौकरी की पूरी अवधि की औसत सैलरी के आधार पर की जाएगी. हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय पेंशन, उसके लिए भुगतान राशि और जोखिम का आकलन करने वाले ‘एक्चुअरी’ की रिपोर्ट आने के बाद ही किया जाना है. अगर ईपीएफओ के इस प्रस्ताव पर अमल होता है ऊंची पेंशन पाने वालों के चक्कर में कम पेंशन वालों को भी नुकसान उठाना होगा.
अभी क्या है फॉर्मूला मौजूदा व्यवस्था में कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) के दायरे में आने वाले जो कर्मचारी रिटायर होते हैं उनकी पेंशन की गणना पिछले पांच साल की पेंशन योग्य सैलरी के औसत के आधार पर की जाती है. पेंशन की गणना के लिए पेंशन योग्य सैलरी गुणा पेंशन योग्य सर्विस में 70 का भाग देते हैं. इसके बाद जो राशि आती है वही कर्मचारी की मासिक पेंशन होती है. अगर ईपीएफओ पेंशन के फॉर्मूले में बदलाव करता है तो इससे ऊंची पेंशन का विकल्प चुनने वालों के साथ-साथ अन्य लोगों को भी नुकसान होगा.
कितना होगा नुकसान? उदाहरण के तौर पर सुरेश कुमार 30 साल की नौकरी के बाद रिटायर हुए थे. उनकी सेवा के पिछले पांच साल की पेंशन योग्य औसत सैलरी 70,000 रुपए थी तो उनकी पेंशन राशि 70,000×30/70 यानी 30,000 रुपए बनती. चूंकि नौकरी की शुरुआत के समय बेसिक सैलरी कम आती है. इस आधार पर अगर पूरी सर्विस के दौरान उनकी बेसिक सैलरी का औसत 42,000 रुपए बनता है तो उन्हें 42,000×30/70 यानी 18,000 रुपए पेंशन बनेगी. इसी तरह 15,000 रुपए तक की सीमा वाले कर्मचारियों की पेंशन भी कम हो जाएगी. बाद किया जाएगा.
क्या है वजह? पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि यह तो बढ़ी हुई पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही तय लग रहा था कि बढ़ी हुई पेंशन का दबाव कम करने के लिए ईपीएफओ पेंशन की गणना में कोई बड़ा बदलवा करेगा. दरअसल, मौजूदा फॉर्मूला के आधार पर कर्मचारी के कॉर्पस के आधार पर पेंशन की राशि 10 फीसद से ज्यादा बन रही है जो बीमा कंपनियों की एन्युटी की तुलना में करीब दोगुनी है. मौजूदा व्यवस्था के आधार पर ईपीएफओ लंबे समय तक पेंशन दे पाने की स्थिति में नहीं है. इस वजह से देर-सवेर पेंशन का बोझ कम करने के लिए वह कोई कदम जरूर उठाएगा जिसका खामियाजा ऊंची पेंशन पाने वालों के साथ-साथ आम कर्मचारियों के भी उठाना पड़ेगा.
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