कोरोना महामारी की दूसरी लहर से मिले झटके से हम अभी उबर भी नहीं पाए थे कि महाराष्ट्र और केरल में बने हालात ने फिर से चिंता बढ़ा दी है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना ‘बेहद जरूरी’ हो गया है. कोविड से मिला यह सबसे बड़ा सबक है.
उनका कहना है कि महामारी के हर नए रूप के साथ उससे निपटने का तरीका भी बदलता जाना चाहिए. पिछली से बेहतर तैयारी के साथ प्राकृतिक आपदा की हर नई लहर से निपटना चाहिए.
सभी राज्यों में कोरोना से लड़ने के लिए मंत्रियों के समूह गठित हैं. हालात पर काबू पाने में केंद्र को उनकी मदद करनी चाहिए.
देश में फिलहाल कोरोना के कुल एक्टिव मामलों में से करीब 35 प्रतिशत केरल से हैं. उधर, एक करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने वाला पहला राज्य बना महाराष्ट्र भी महामारी की चपेट से निकल नहीं पा रहा.
कुछ राहत की बात है कि देश के वित्तीय केंद्र मुंबई में 26 जुलाई को 15 महीनों में सबसे कम नए मामले सामने आए. बाकी दिनों के बड़े आंकड़ों के मुकाबले, 297 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इससे पहले 24 अप्रैल 2020 को राज्य में 300 से कम पर रहा था नए मामलों का आंकड़ा.
यह चिंता की बात है कि शिक्षा दर और अन्य सामाजिक संकेतकों में देश में सबसे आगे रहने वाला केरल और वित्तीय राजधानी कही जाने वाली मुंबई कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं. यहां के प्राधिकरण पर जिम्मेदारी बड़ी है. हालात पर काबू पाए बिना वे किसी भी हाल में ढीले नहीं पड़ सकते. एक्सपर्ट्स पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि तीसरी लहर का आना तय है. ऐसे में केरल और महाराष्ट्र, दोनों को इस बात का ख्याल रखना होगा कि किसी भी तरह की लापरवाही थर्ड वेव के लिए तुरंत रास्ता खोल सकती है.
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