देश में हुए बड़े बदलावों में से एक सेलफोन रेवॉल्यूशन रहा है. हालांकि, इसकी एक खामी यह रही है कि इसमें अंग्रेजी पर निर्भरता बहुत ज्यादा रही है. जो अंग्रेजी, पढ़ने, लिखने या समझने में समक्षम हैं, उन्हें ऐप्स और विज्ञापनों के कंटेंट समझने में दिक्कत नहीं होती है. अब गूगल और जियो ने जियोफोन पेश करने के लिए हाथ मिलाया है. इससे दूसरा सेलफोन रेवॉल्यूशन आ सकता है, जिसमें अंग्रेजी पर यह निर्भरता शायद खत्म हो जाए.
नए चरण में एप्लिकेशन आदि में भारतीय भाषाओं का तेजी से इस्तेमाल बढ़ सकता है. इससे देसी कारोबारियों को उस बड़ी आबादी तक पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो इंग्लिश न पढ़ते-लिखते और न ही समझते हैं और केवल अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए उद्यमी समाज में बड़े बदलाव लाएंगे और डिजिटल एज से सबको जोड़ेंगे.
कहीं न कहीं सबके हिसाब से कंटेंट भी परोसा जाने लगेगा. एप्लिकेशंस अगर भारतीय भाषाओं में बनाई जाती हैं, तो कंपनियां, मार्केटर और उनके प्रॉडक्ट, सभी रातों-रात उन तक पहुंच बना लेंगे, जो केवल मातृभाषा को लेकर सहज हैं. उद्यमी कारोबार का विस्तार करेंगे.
जियोफोन नेक्स्ट में स्क्रीन पर मौजूद अक्षरों को ऊंची आवाज में खुद-ब-खुद पढ़े जाने और अन्य वॉयस असिस्टेंस फीचर होंगे. पहली बार फोन और तमाम एप्लिकेशन का अनुभव लेने वालों के लिए यह मददगार साबित होगा.
एनालिस्ट्स का मानना है कि दोनों कंपनियों के हाथ मिलाने से सेलफोन मार्केट में अलग स्तर पर बदलाव हो सकते हैं. गूगल के बॉस सुंदर पिचाई ने भी कहा है कि नए फोन के साथ ऐसे सफर की शुरुआत होने जा रही है, जो अंग्रेजी से कहीं आगे तक जाएगा. उन्हें उम्मीद है कि अगले तीन से पांच वर्षों में यह फोन बाजार में अपनी जगह बना लेगा. इसकी बिक्री भी किफायती दाम पर की जाएगी, ताकि सभी इसे खरीद सकें.