इसी 13 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंडियाइनपिक्सल्स (@indiainpixels) के एक ट्वीट पर कमेंट किया था . इस ट्वीट में भारत में अक्टूबर 2016 से मार्च 2022 के दौरान UPI ट्रांजैक्शंस के आंकड़ों को एक ऑडियो-विजुअल चार्ट के तौर पर दिखाया गया है. ये चार्ट भारत में डिजिटल पेमेंट की एक ऐसी खामोश क्रांति को दिखाता है जिसने देश में लेनदेन का पूरा तौर-तरीका ही बदल दिया और इस पूरी गतिविधि के केंद्र में UPI है . जिसका इस्तेमाल हर महीने बढ़ रहा है . मार्च के दौरान UPI ट्रांजेक्शन में करीब 98 फीसदी और ट्रांजैक्शंस वैल्यू में 92 फीसदी का उछाल आया था. यह ग्रोथ अप्रैल में भी जारी रही. UPI के जरिए पेमेंट्स की संख्या तकरीबन दोगुनी हुई अप्रैल में UPI ट्रांजेक्शन 111 फीसद से ज्यादा बढ़े और ट्रांजैक्शंन वैल्यू में 99 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई. अप्रैल 2021 के मुकाबले इस साल UPI के जरिए पेमेंट्स की संख्या तकरीबन दोगुनी हो गई. वैल्यू भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है. माजरा ऐसा है कि गूगल पे से लेकर फोन पे तक सबका दांव UPI पर है. पेमेंट के मोर्चे पर सबकी दुकान UPI के सहारे सजी है. अब आम लोगों से लेकर छोटे दुकानदार तक सब खुश हैं . फोन निकाला और फटाक से पेमेंट. रेहड़ी-ठेला लगाने वालों के लिए पॉइंट ऑफ सेल्स यानी PoS मशीन खरीदना एक सपने जैसा था. वीजा और मास्टरकार्ड के लिए बड़ी चुनौती UPI ने उनकी इस जरूरत को ही खत्म कर दिया. आप सोचते होंगे कि ये तो सबके लिए विन-विन जैसी बात है. लेकिन, ऐसा है नहीं. दरअसल, UPI की इस आंधी में डेबिट और क्रेडिट कार्ड के लिए अपना धंधा बचाने की कश्मकश में लग गए हैं. नकद नारायण माने कैश के तो अच्छे दिन जाने कब के लद गए हैं. UPI की इस लहर में बैंकों को कमाई घटती दिख रही है तो वीजा और मास्टरकार्ड के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा हो गई है. बैंकों का दर्द ये है कि कार्ड के नाम पर ग्राहकों से खूब कमाई हो रही थी. सौ तरह के चार्ज और मनमानी की फुल छूट. क्रेडिट-डेबिट कार्ड मार्केट पर कब्जा रखने वाले वीजा और मास्टरकार्ड भी गहराई से पूरे हालात को देख रहे हैं. दरअसल, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की पेमेंट टेक्नोलॉजी इतनी जटिल है कि वीजा और मास्टरकार्ड के धंधे में पूरी दुनिया में आज तक कोई सेंध नहीं लगा पाया. बानगी ये है कि फरवरी में जब रूस यूक्रेन पर चढ़ बैठा तो वीजा, मास्टरकार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस ने रूस में अपनी सर्विसेज बंद कर दीं. नतीजतन, रूस में डेबिट, क्रेडिट कार्ड से जुड़ा पूरा सिस्टम ही बैठ गया. तो क्या भारत में ऐसे ही किसी संकट के वक्त UPI एक वैकल्पिक तरीका बन सकता है? मौजूदा आंकड़े तो इसकी हामी भरते दिखाई देते हैं. रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़े बता रहे हैं कि हाल में डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन में कुछ कमी आई है. जनवरी के मुकाबले फरवरी के दौरान न सिर्फ ट्रांजेक्शन कम हुए हैं बल्कि ट्रांजेक्सन वैल्यू भी घटी है. अब आते हैं इस बात पर कि UPI के चलते डेबिट और क्रेडिट कार्ड का भविष्य भी क्यों शक के घेरे में बना हुआ है तो इसकी कुछ मोटी वजहें हैं. पहली तो बात आपकी जेब से जुड़ी है और वो ये है कि UPI ट्रांजैक्शंस आपको सस्ते पड़ते हैं. डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर आपको सालाना चार्ज और दूसरी तमाम फीस चुकानी पड़ती हैं. दूसरी बात आपके पास कार्ड हो या न हो, फोन है तो कहीं भी आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. बल्कि, रिजर्व बैंक तो बिना इंटरनेट के भी UPI ट्रांजैक्शंस के तौर-तरीकों पर भी काम कर रहा है. यानी आपके पास अगर सस्ता फीचर फोन भी है तो भी आप UPI से लेनदेन कर सकते हैं. ये गांव-देहात के हाशिये पर मौजूद तबके के लिए बड़ी राहत की बात होगी. तीसरा, UPI के जरिए ATM से पैसे निकालने की भी तरकीबों पर काम चल रहा है. अब डेबिट कार्ड की सबसे ज्यादा जरूरत इसी काम के लिए पड़ती थी . अब वो भी हाथ से निकल जाएगा. रिजर्व बैंक क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स पर बैंकों की मनमानी भी रोकने की तैयारी कर चुका है. ग्राहकों की मर्जी बगैर उन्हें कार्ड देने और बेमतलब के चार्ज वसूलने की गतिविधि पर रिजर्व बैंक ने हाल में ही शिकंजा कसा है. यानी, देश में पैसों के लेनदेन की तस्वीर में एक बड़ा बदलाव आ चुका है. आने वाला वक्त डेबिट और क्रेडिट कार्ड के लिए खुद को टिकाए रखने के संघर्ष का होगा.