महामारी के इस दौर में जिंदगी काफी संकट में आ गई है. हम अभूतपूर्व आर्थिक और स्वास्थ्य संकट के गवाह बने हैं. हम में से कई लोगों ने इनका साक्षात अनुभव किया है. हम लोगों ने मौत की खबरें, अस्पतालों में बेड्स की कमी और नौकरियों से निकाले जाने की दुखद खबरें सुनी हैं.
आर्थिक रूप से भी गिरती फिक्स्ड डिपॉजिट दरों और रोलर-कोस्टर हुए शेयर बाजार को पचाना और समझना काफी मुश्किल भरा था. हम अपने करीबियों और चाहने वालों की सुरक्षा को लेकर भयभीत थे. लोगों के मन में यह आशंका थी कि उनकी नौकरी सुरक्षित रहेगी या नहीं. इन चिंताओं का सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है.
कई लोगों की तरह इस तरह की चिंताओं और अनिश्चिताओं से निपटने के लिए मैंने योग और ध्यान का सहारा लिया. “आप हमेशा बाहर जो हो रहा है, उसे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं. लेकिन आप अपने अंदर जो हो रहा है उसे नियंत्रित कर सकते हैं.” ये कुछ खास चीज थी, जो मैंने अपनी योगा क्लास में सीखी. यह एक आध्यात्मिक सलाह की तरह लग सकता है, लेकिन यह हमारे पैसे पर भी बिल्कुल सही तरह से लागू होता है.
आज के माइक्रो इकोनॉमिक हालात अनिश्चित और जटिल हो सकते हैं. परस्पर विरोधी राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक कारकों का एक कॉकटेल नए तरीकों से एसेट्स की कीमतों को प्रभावित करता है, जिससे अधिकांश निवेशक पीछे रह जाते हैं. कभी-कभार बुनियादी बातें सामने आती हैं, तो कभी भावनाएं, आर्थिक पूर्वानुमान और बाजार की अपेक्षाएं भटकाती हैं.
क्या इक्विटी वैल्यूएशन खर्चीला है? क्या आरबीआई ब्याज की दरों में इजाफा करेगा? क्यों गोल्ड चमक नहीं रहा है? क्या बढ़ती महंगाई कुछ वक्त के लिए है? डेल्टा वेरिएंट और तीसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अमेरिका-चीन का विवाद मेरे निवेश को कैसे प्रभावित करेगा? रुपए का आगे क्या होगा? सवाल तो कई हैं, लेकिन जवाब हमारे पास सिर्फ अनुमान के रूप में हैं.
ये किसी को नहीं पता कि भविष्य में आगे क्या होगा? फाइनेंशियल बाजार और व्यक्तिगत एसेट क्लास का प्रदर्शन कैसा होगा, इसका अनुमान लगाने की तो बात ही छोड़ दीजिए. एक्सपर्ट्स भी इस सवाल का सही जवाब नहीं दे सकते हैं कि कौन का एसेट क्लास या इनवेस्टमेंट आइडिया आने वाले महीने या साल में काम करेगा.
लेकिन इसलिए अपना दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है और न ही निवेश बंद करने की जरूरत है. परिस्थितियों या लोगों को बदलने और नियंत्रित करने की कोशिश करने के बजाय, जिंदगी से जो अनुभव हमें मिलते हैं, उससे सीखते हुए मन की खुशी और शांति को अधिकतम कर सकते हैं.
इसी तरह, हम अपने पैसे को ऑप्टिमाइज कर सकते हैं, अगर खबरों, ब्याज दरों और महामारी जैसे अनगिनत बाहरी कारणों पर अनुमान लगाना और उन पर ध्यान देना बंद कर देते हैं. ये कारण खासकर हमारे नियंत्रण से बाहर हैं. हमें केवल उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसे हम नियंत्रित कर सकते हैं. मैं एसेट एलोकेशन की बात कर रही हूं.
एसेट्स, अलग-अलग रिस्क-रिटर्न की विशेषताओं के कारण, अर्थव्यवस्था में उछाल और हलचल पर अलग तरह से प्रतिक्रिया करते हैं. इस प्रकार आशावाद या मूल्य वृद्धि और निराशावाद या कीमत में गिरावट के सर्किल से गुजरते हैं.
आमतौर पर, जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो कर्ज कम रिटर्न देता है, लेकिन इक्विटी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है. जब इक्विटी का बाजार गिरा हुआ होता है, तो डेट ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करता है. आज के इस अनिश्चिता और उन्मादी दौर में कैश और गोल्ड ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.
एसेट आवंटन या होल्डिंग डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो, मल्टीपल इम्परफेक्ट कोरिलेटेड एसेट क्लास के साथ रखना सबसे आसान हो सकता है, अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव को देखते हुए बढ़िया रिटर्न कमाने का सबसे स्मार्ट तरीका है.
यह इसलिए है, क्योंकि आम तौर पर जब एक एसेट टाइप औसत या खराब रिटर्न देता है, तो दूसरा आमतौर पर अच्छा करता है. इस प्रकार आपके पोर्टफोलियो को खराब रिटर्न या पूर्व के नुकसान की भरपाई करने की क्षमता को सीमित करता है.
यह नकारात्मक रिस्क और वोलैटिलिटी पोर्टफोलियो की अस्थिरता को कम करता है. और निश्चित रूप से आपको समाचारों पर नजर बनाए रखने और अर्थव्यवस्था, बाजार व एसेट क्लास का अनुमान लगाने की परेशानी से बचाता है.
(लेखिका क्वांटम एएमसी में एसोसिएट फंड मैनेजर- अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट्स हैं)
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