विदेश व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और रुपए को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के तौर पर स्थापित करने के लिए रिजर्व बैंक लगातार प्रयास कर रहा है. इसी कड़ी में रिजर्व बैंक ने स्थानीय बैंकों को कहा है, कि वे अपने ग्राहकों से कहें कि संयुक्त अरब अमिरात (UAE) के साथ किए जाने वाले व्यापार को भारतीय करेंसी रुपये या UAE की करेंसी दिरहम में सेटल करें.
सरकार और रिजर्व बैंक उन देशों के साथ स्थानीय करेंसी में ट्रेड सेटल करने को बढ़ावा दे रहा है जिनके साथ भारत का ट्रेड डिफिसेट में हैं, यानी भारत में आयात ज्यादा हो रहा है और निर्यात कम. ऐसे देशों में UAE एक प्रमुख देश है जिसके साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता भी है और अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए भारत UAE से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का इंपोर्ट भी करता है. वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान भारत के साथ UAE का व्यापार घाटा 21.62 अरब डॉलर दर्ज किया गया है जो भारत के कुल व्यापार घाटे का 8.2 फीसद है.
स्थानीय करेंसी में व्यापार को बढ़ावा देकर भारत विदेश व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भरता कम करना चाहता है, इससे जहां एक तरफ विदेशी मुद्रा भंडार बचेगा, वहीं दूसरी तरफ भारतीय करेंसी रुपए को भी मजबूती मिलेगी. इस बीच BRICS संगठन के बैंक, न्यू डेवल्पमेंट बैंक ने कहा है कि वह अक्टूबर तक रुपए का पहला बॉन्ड जारी कर सकता है. आज से दक्षिण अफ्रीका में होने वाली BRICS देशों की बैठक से पहले न्यू डेवल्पमेंट बैंक के CEO ने यह बयान दिया है. न्यू डेवल्पमेंट बैंक का उद्देश्य है कि BRICS के सदस्य देशों के बीच स्थानीय करेंसी में विदेश व्यापार को बढ़ावा दें.
रुपए में विदेश व्यापार बढ़ाने के लिए भारत ने रूस से आयात हुए तेल की भी रुपए में ही पेमेंट की है, लेकिन रूस की तरफ से रुपए में पेमेंट को लेकर ठंडा रिस्पॉन्स मिल रहा है. यूक्रेन के साथ युद्ध की वजह से रूस के ऊपर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए हैं, जिस वजह से भारतीय रुपए में ली गई पेमेंट के आगे इस्तेमाल को लेकर रूस को दिक्कत हो रही है. रूस ने अब भारत से रुपए में पेमेंट नहीं करने के लिए कहा है.