भारतीय नौसेना (Indian Navy) में स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS करंज बुधवार को भारतीय नौसेना (Indian Navy) में शामिल हुई. करंज भारतीय नौसेना (Indian Navy) की ऐसी तीसरी पनडुब्बी है जो परमाणु हमला करने में सक्षम है. नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और (सेवानिवृत्त) एडमिरल वीएस शेखावत की उपस्थिति में INS करंज को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया. आज भारतीय नौसेना (Indian Navy) में आईएनएस करंज के शामिल होने के बाद भारत की समुद्री ताकत कई गुना और बढ़ गई है. इसे आज उस समय नौसेना का हिस्सा बनाया गया है जब पाकिस्तान से युद्ध के 50 साल पूरे होने पर इस साल को भारत ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के तौर पर मना रहा है.
कैसे पड़ा नाम आईएनएस करंज? आईएनएस करंज के नाम के फुल-फॉर्म में (K से किलर इंसटिंक्ट, A से आत्मनिर्भर भारत, R से रेडी, A से एग्रेसिव, N से निम्बल और J से जोश) है. INS करंज से पहले इसी श्रेणी(स्कॉर्पीन) की दो अन्य पनडुब्बियों (आईएनएस खंडेरीऔर आईएनएस कलवरी) को भी भारतीय नौसेना (Indian Navy) के बेड़े में शामिल किया जा चुका है. इसी श्रेणीं की चौथी पनडुब्बी आईएनएस वेला फिलहाल समुद्री ट्रायल मोड पर है.
भारतीय नौसेना के पास पनडुब्बियों की संख्या भारतीय नौसेना (Indian Navy) इस समय कुल 18 पनडुब्बियों का संचालन कर रही है. इनमें से INS अरिहंत और INS चक्र परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बियां हैं. अरिहंत का निर्माण भारत में ही किया गया है. साल 2015 में भारत सरकार ने भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए लंबित परियोजना को आगे बढ़ाते हुए छह परमाणु शक्ति चलित अटैक पनडुब्बियों (एसएसएन) के निर्माण को मंजूरी दी थी. इनको नौसेना के डिजाइन निदेशालय में डिजाइन किया था और विशाखापत्तनम में इसका शिप बिल्डिंग सेंटर बनाया गया था.
सिंधुघोष श्रेणी सिंधुघोष श्रेणी की पनडुब्बियां कीलो श्रेणी की डीजल-इलेक्ट्रिक चलित पनडुब्बियां हैं. जिन्हें 877 ईकेएम नाम से निर्दिष्ट किया गया है. इनका निर्माण रूसी रक्षा निर्यात कंपनी रोसवोरुझेनी और रक्षा मंत्रालय (भारत) के बीच एक अनुबंध के तहत किया गया था. पताका संख्या एस 55 से लेकर एस 65 तक की पनडुब्बियां इस श्रेणी में आती हैं.
शिशुमार श्रेणी शिशुमार श्रेणी के पोत (1500 प्रकार) की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं. इन पनडुब्बियों को जर्मन कंपनी एचडीडब्लू के साथ अनुबंध विकसित किया गया है. पहली दो पनडुब्बियों को काइल एचडीडब्लू द्वारा बनाया गया था, जबकि शेष का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई में किया गया है. पताका संख्या एस 44 से लेकर एस 47 तक की पनडुब्बियां इस श्रेणी में आती हैं.
कलवरी श्रेणी कलवरी प्रोजेक्ट 75 के तहत निर्मित छह स्कोर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में से एक है. इस श्रेणी की प्रमुख पनडुब्बियां कलवरी, खंडेरी, करंज, वेला और वागीर हैं.
चक्र श्रेणी प्रोजेक्ट चक्र के तहत अकुला श्रेणी की फिलहाल एक ही पनडुब्बी है. परमाणु ऊर्जा चालित यह पनडुब्बी 8,140 टन वजनी है. आईएनएस चक्र को 04 अप्रैल, 2012 में आधिकारिक तौर पर नौसेना में कमीशन किया गया था. इस पनडुब्बी के पैनेट नंबर यानी पताका संख्या एस 71 हैं.
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