Indian Army: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना ( Indian Army) को 4,960 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की आपूर्ति करने के लिए शुक्रवार को भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ अनुबंध किया है. इन गाइडेड मिसाइलों की कीमत 1,188 करोड़ रुपये है. मिलन 2टी मिसाइल का इस्तेमाल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी फौज के बंकरों को नष्ट करने के लिए किया गया था। मजबूत पाकिस्तानी बंकरों को वायर गाइडेड मिलान मिसाइल ने बखूबी तबाह किया था. दुश्मन सेना की टैंक रेजीमेंट का मुकाबला करने के लिए तीसरी पीढ़ी की यह मिसाइलें कारगर होंगी.
फ्रांसीसी कंपनी से लाइसेंस मिलने के बाद के बीडीएल कर रही उत्पादन रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण विंग ने 1,188 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय सेना को 4,960 मिलन-2टी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीएमएम) की आपूर्ति के लिए डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग भारत डायनामिक्स लिमिटेड के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. इससे सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और बढ़ावा मिलेगा. यह अनुबंध का ‘रिपीट ऑर्डर’ है, जिसे पहली बार 08 मार्च, 2016 को बीडीएल के साथ हस्ताक्षरित किया गया था. मिलन-2टी एक टैंडम वारहेड एटीजीएम है, जिसकी रेंज 1,850 मीटर है. भारत डायनामिक्स लिमिटेड मिलान-2टी को फ्रांस की कंपनी एमबीडीए मिसाइल सिस्टम से मिले लाइसेंस के तहत उत्पादन कर रही है.
तीन साल के भीतर सेना में शामिल किये जाने की योजना रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक इन मिसाइलों को जमीन से और साथ ही वाहन-आधारित लांचर से दागा जा सकता है. इसे आक्रामक और रक्षात्मक दोनों कार्यों के लिए एंटी-टैंक रोल में तैनात किया जा सकता है. इन मिसाइलों को तीन साल के भीतर सेना में शामिल किये जाने की योजना है, जिसके बाद सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों में इजाफा होगा. यह परियोजना भारतीय रक्षा उद्योग के लिए अपनी क्षमता दिखाने का एक बड़ा अवसर है, जो रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम होगा. सेना को फिलहाल 70 हजार एंटी टैंक मिसाइलों और 850 लांचर्स की जरूरत है. 2टी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें मिलने से सेना की जरूरत काफी हद तक पूरी हो जाएगी.
मिसाइल की खासियत मिलान 2टी मिसाइल का इस्तेमाल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी फौजों के बंकरों को नष्ट करने के लिए किया गया था. मिलान 2टी फ्रांस की वायर गाइडेड एटीएमएम है, यानी लक्ष्य भेदने के लिए लांच यूनिट को लक्ष्य निर्धारित करना होगा. एमआईआरए और एमआईएलआईएस से थर्मल साइट तकनीक से लैस होने के कारण यह मिसाइल रात को भी लक्ष्य भेद सकती है. 2017 में अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने इजरायल व स्वीडन से मिसाइल खरीदने के स्थान भारत में ही बनी आकाश मिसाइल पर भरोसा जताया था.
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