पंजाब हरियाणा की सीमा पर आंदोलनरत किसान बीते सोमवार 26 फरवरी को जब समर्थन मूल्य मुद्दे पर भारत के डब्लूटीओ छोड़ने की मांग कर रहे थे तब यहां अबूधाबी की बंद कर बैठकों में वार्ताकार बेचैनी से पहलू बदल रहे थे. खाद्य सुरक्षा के लिए किसानों से भरपूर अनाज खरीदने के मामले में भारत कोई रोक टोक नहीं चाहता. करीब 80 देश भारत के रुख के साथ है. तेवर आक्रामक हैं इसलिए बैचनी बढ़ी हुई है.
सनद रहे कि जून 2022 में जेनेवा की बैठक को असफलता से बचाने का श्रेय भारत को मिला था. मामला मत्सयन यानी फिशिंग पर सब्सिडी घटाने का था. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अगुआई में भारतीय दल ने विकासशील देशों के लिए उल्लेखनीय फायदे हासिल किये थे. इस बैठक में चीन को भी सहमत होना पड़ा था.
अबूधाबी की बैठक में भारत अनाज भंडार के लिए समर्थन मूल्य और सब्सिडी पर डब्लूटीओ के नियमों में बदलाव चाहता है ताकि किसानों से अधिकतम अनाज खरीदा जा सके. खाद्य सुरक्षा के शर्तें उदार करने के लिए भारत डब्लूटीओ में जी 33 समूह की अगुआई कर रहा है जिसमें 80 देश शामिल हैं, दुनिया की 61 फीसदी आबादी इन देशों में रहती है.
दूर के समुद्रों के मछली पकड़ने का मुद्दा भी विवादित है. भारत चाहता है कि बडे देश अपने एक्सूलिव इकोनॉमिक जोन से बाहर फिशिंग रोकें और सब्सिडी को कम से कम 25 साल के प्रतिबंधित करें.
यह संयोग नहीं है कि डब्लूटीओ की बैठक से ठीक पहले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में दुनिया का सबसे बड़ा अनाज भंडार बनाने का एलान किया है. यह संदेश सीधे तौर पर डब्लूटीओ लिए है. भारत के वार्ताकार दल की तैयारियों और अनौपचारिक चर्चाओं से समझा जा सकता है कि किसान आंदोलन के बीच भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता करने की स्थिति में नहीं होगा.
भारत का तर्क साफ है कि विकसित देश 11 साल से टल रहे कृषि अनाज भंडारण पर सहमत नहीं हो रहे हैं. उनकी वरीयता पर निवेश गैर व्यापार मुद्दे ला रहे हैं जो स्वीकार नहीं है.
बैठक में सहमति की ठोस उम्मीद अभी बनी नहीं है. जेनेवा की खींचतान की रोशनी में वार्ताकारों ने खासी तैयारी भी है. यहां तगडी सौदेबाजी होने के आसार है. आमतौर पर डब्लूटीओ वार्ताओं में आखिरी दिन ही तस्वीर साफ होती है.
करीब तीन दशक पुराने डब्लूटीओ की मंत्रिस्तरीय बैठकें सहमति से ज्यादा मतभेदों के लिए कुख्यात हैं.दुनिया के दो हिस्सों में युद्ध और करीब 60 देशों में चुनाव के बीच एसा मानने वाले बहुत हैं अगर भारत ने चाहा तभी आबूधाबी से कोई बड़ा नतीजा निकलेगा.