भारत सरकार कराधान के अपने संप्रभु अधिकारों के लिए केयर्न मध्यस्थता फैसले (Cairn Arbitration Decision) के खिलाफ अपील दायर कर सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी.
एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में केयर्न (Cairn) को हुए नुकसान की भरपाई के लिए भारत सरकार से 1.4 अरब डॉलर देने को कहा है. न्यायाधिकरण ने दिसंबर में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि भारत ने 2014 में ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन कर 10,247 करोड़ रुपये का कर लगाया था.
सूत्रों ने कहा कि सरकार न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रही है और उसका मानना है कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण किसी राष्ट्र के कराधान के संप्रभु अधिकारों पर सवाल नहीं उठा सकता.
सूत्रों ने कहा कि सरकार केयर्न एनर्जी द्वारा विभिन्न अन्य अंतरराष्ट्रीय अदालतों में दायर मुकदमों में पूरी ताकत से लड़ेगी.
सूत्रों ने कहा कि केयर्न के साथ किसी भी विवाद का समाधान मौजूदा कानूनों के तहत ही होगा.
एडिनबर्ग स्थित कंपनी ने पिछले महीने भारत सरकार को लिखा था कि रेट्रोस्पेक्टिव करों पर मुकदमा हारने के बाद यदि सरकार 1.4 अरब डॉलर का भुगतान करने में विफल रहती है, तो कंपनी भारत सरकार की परिसंपत्तियों को जब्त करने के लिए मजबूर हो सकती है.
ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी (Cairn Energy PLC) के मुख्य कार्यकारी साइमन थॉमसन ने इस मुद्दे के जल्द समाधान के लिए गुरुवार को शीर्ष वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की थी.
थॉमसन ने वित्त सचिव अजय भूषण पांडे, सीबीडीटी के अध्यक्ष पी सी मोदी और अन्य कर अधिकारियों से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे बीच रचनात्मक बातचीत हुई और बातचीत जारी है.’’
बैठक में क्या बातचीत हुई, इस बारे में उन्होंने किसी टिप्पणी से इनकार किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं बैठक के बारे में अधिक टिप्पणी नहीं कर सकता.’’
केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) के सूचीबद्ध होने से पहले 2006-07 में भारतीय कारोबार के पुनर्गठन से कंपनी को हुए कथित पूंजीगत लाभ पर करों के रूप में कर विभाग ने 10,247 करोड़ रुपये मांगे थे, और इसके तुरंत बाद विभाग ने केयर्न इंडिया (Cairn India) में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी जब्त कर ली.
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