डब्लूटीओ वातार्ओं में चीन के एक प्रमुख एजेंडे को भारत ने रोक दिया है. चीन ने निवेश सुविधाओं और रियायतों को चर्चा में शामिल कराने की कोशिश की थी. बुधवार विकास एजेंडे पर वार्ताओं के दौरान भारत ने इसे डब्लूटीओ की व्यवस्था खिलाफ बताकर रोक दिया. एजेंडे में शामिल होने पर रोक के बाद इस पर चर्चा की संभावना सीमित हो गई.
चीन बनाम भारत
वार्ताओं के दूसरे दिन विकास के एजेंडे पर चर्चा थी जो कि इन सम्मेलन का प्रमुख विषय है. यह बैठक चीन बनाम भारत में बदल गई. चीन सहित करीब 125 देशों ने इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन डेवलपमेंट मसौदे पर एक राय बनाई है जिसमें सदस्य देश परस्पर निवेश को बढ़ावा देंगे. चीन के साथ दक्षिण कोरिया और चिली भी इस प्रस्ताव को आगे बढ़ा रहे हैं.
व्यवस्था के विरुद्ध प्रस्ताव
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने इस प्रस्ताव को डब्लूटीओ की व्यवस्था विरुद्ध बताया जहां व्यापार पर चर्चा होती है निवेश पर नहीं. उनका कहना था कि यह केवल देशों के एक समूह बनी हुई सहमति है. यह कोई समझौता नहीं है. इसलिए इसे एजेंडे में रखा नहीं जा सकता.
1996 से जारी विरोध
डब्लूटीओ निवेश को वार्ताओं का हिस्सा बनाने के विरोध 1996 से जारी है. 2004 में यह फैसला हुआ था कि जब तक दोहा दौर के एजेंडे का क्रियान्वयन नहीं हो जाता तब तक निवेश पर बात नहीं होगी. हालांकि 2015 में नैरोबी की बैठक में डब्लूटीओ का रुख बदला था. तब यह तय हुआ था कि अगर सभी सदस्य सहमत होंगे तो नए मुद्दे शामिल किये जाएंगे. भारतीय पक्ष ने संकेत दिया विरोध के बाद इसे एजेंडे में शामिल किये जाने की संभावना समाप्त हो गई है.
वार्ताओं में चीन की सक्रियता खासी उल्लेखनीय है. फिशिंग सब्सिडी पर भी चीन का रुख गतिरोध वाला है. वही सबसे ज्यादा सब्सिडी भी देता है.
अमेरिका के साथ गहरी असहमतियां
चीन ही नहीं अमेरिका के साथ गहरी असहमतियां नजर आ रही है. विदेश में रहने वाली भारतीयों के धन प्रेषण (रेमिटांस) पर टैक्स कम करने के प्रस्ताव पर अमेरिका सहमत नहीं है. यूरोपीय समुदाय ने पहले इसका समर्थन किया था मगर अब कुछ नए विकल्प लेकर आ रहा है.
सूत्र बता रहे हैं कि डब्लूटीओ विवाद निस्तारण व्यवस्था में अपीली तंत्र के सुधार पर भी अमेरिका राजी नहीं है.