भारत ने दुनिया को जीरो का ज्ञान कराया और ये एक बड़ी गणितीय घटना थी. इसने कैलकुलस की नींव का काम किया. इसी से फिजिक्स, इंजीनियरिंग और आधुनिक तकनीक को आगे बढ़ने में मदद मिली है. अब भारत ने दुनिया को एक और टूल दिया है ताकि कोरोना वायरस से जंग लड़ी जा सके.
CoWIN या कोविड वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क देश में चल रही बड़ी वैक्सीनेशन मुहिम में सबसे अहम एप्लिकेशन साबित हुआ है. अब भारत इस प्लेटफॉर्म को दुनिया के 50 से ज्यादा देशों को मुहैया कराने जा रहा है. कनाडा, मैक्सिको, नाइजीरिया और पनामा जैसे तमाम देशों ने इसके लिए दिलचस्पी दिखाई है. सरकार CoWIN ने इसके ओपन सोर्स वर्जन तैयार करने को मंजूरी दे दी है. इस प्लेटफॉर्म में दिलचस्पी दिखाने वाले देश इसका मुफ्त में इस्तेमाल कर पाएंगे.
कोविड वैक्सीन डिलीवरी प्लेटफॉर्म के एंपावर्ड ग्रुप के चेयरमैन आर एस शर्मा ने कहा है कि सरकार CoWIN प्लेटफॉर्म में दिलचस्पी दिखाने वाले सभी देशों की मदद करने के लिए तैयार है.
बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन मुहिम में मदद के लिए तैयार किया गया CoWIN प्लेटफॉर्म 21 जून 2021 को सरकार के 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाने का ऐलान करने के तुरंत बाद क्रैश हो गया था. उस दिन दोपहर के 12.04 इस एप्लिकेशन पर 18.3 लाख API कॉल्स प्रति मिनट का ट्रैफिक पहुंच गया था. इसका मतलब था 30,000 API कॉल्स प्रति सेकेंड का इस प्लेटफॉर्म पर आना.
हालांकि, ये एल्पिकेशन विवादों से भी मुक्त नहीं रहा है. इस एप्लिकेशन में होने वाली दिक्कतों से लेकर नए आईटी पोर्टल में आने वाली मुश्किलों तक तकनीकी दिक्कतें भारत के डिजिटल सफर की राह में हमेशा से रोड़ा रही हैं.
शुरुआती दिनों में CoWIN ऐप में आने होने वाली गड़बड़ियों ने देश की आबादी के वैक्सीनेशन की योजनाओं को मुश्किलों में डाल दिया था. अब तक देश में 33 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है.
खैर, ये सब गुजर चुका है. भारत डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दहलीज पर खड़ा है. अब सरकार को देश की डिजिटल मुहिम को और पुख्ता करना होगा. साथ ही डिजिटल इंडिया के आइडिया को पूरी दुनिया के सामने ले जाना चाहिए. लेकिन, इससे पहले ये सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि ये मुहिम किसी भी तकनीकी गड़बड़ियों का शिकार न हो.
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