डिजिटल और सॉफ्टवेयर क्षमताओं के चलते 5G के दौर में भारत एक निर्णायक भूमिका निभाएगा. टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के सचिव एस के गुप्ता ने कहा है कि उदार एफडीआई नियम, प्रगतिशील मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम और आत्मनिर्भर बनने की प्रतिबद्धता से भारत टेलीकॉम मार्केट में बड़े निवेश और ग्रोथ हासिल करने में सफल रहेगा. उन्होंने कहा कि टेलीकॉम इक्विपमेंट्स के आयात पर निर्भरता एक चिंता का विषय रहा है क्योंकि इसके आर्थिक असर हैं और सिक्योरिटी से जुड़े हुए खतरे भी. लेकिन, हमें योजनाबद्ध तरीके से स्वदेसी उत्पादन पर जोर देना होगा. गुप्ता ने कहा, “हालांकि, टेलीकॉम नेटवर्क्स की जबरदस्त ग्रोथ रही है, लेकिन हम हर साल 1 लाख करोड़ रुपये के टेलीकॉम इंपोर्ट करते हैं.” गुप्ता ने कहा, “टेलीकॉम इक्विपमेंट का आयात न केवल आर्थिक रूप से गलत है, बलकि इससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी पैदा होती हैं.” उन्होंने कहा, “सरकार का आत्मनिर्भर भारत का आह्वान एक सही वक्त पर लिया गया फैसला है. मौजूदा वक्त में ग्लोबल सप्लाई चेन गड़बड़ा गई हैं औऱ इससे टेलीकॉम डिवेलपमेंट में नए मौके पैैदा हो रहे हैं.” सॉफ्टवेयर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में अपनी मजबूत मौजूदगी के चलते 5जी और इससे जुड़े हुए घटनाक्रमों में भारत एक निर्णायक भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा, “भारत के स्किल बेस, घरेलू मार्केट के बड़े साइज और टेक्नोलॉजी को देखते हुए भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक आकर्षक विकल्प के तौर पर उभर रहा है.” उदार फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) व्यवस्था और टेलीकॉम इक्विपमेंट्स के लिए PLI स्कीम (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) से भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम मजबूत होगा. इससे देश में बड़ा निवेश आएगा. उन्होंने कहा कि भारत में टेलीकॉम और इंटरनेट के बढ़ते सब्सक्राइबर्स, सस्ती ब्रॉडबैंड सर्विसेज और क्लाउड, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्लेटफॉर्म्स डिजिटल रूप से मजबूत एक नए भारत का रास्ता बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भारत में 1.2 अरब टेलीफोन सब्सक्राइबर्स हैं. इसके अलावा, आधार के 1 अरब डिजिटल आईडी होल्डर, 80 करोड़ इंटरनेट सब्सक्राइबर्स भी हैं. अब प्रति सब्सक्राइबर डेटा की खपत भी बढ़कर 11 जीबी प्रति माह हो गई है.
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