यदि आप देश के बाहर यात्रा की योजना बनाने जा रहे हैं तो, अमेरिकी डॉलर या कोई अन्य विदेशी मुद्रा खरीदने की सीमा निश्चित होती है. आपको यह जानना चाहिए कि, जब इन मुद्राओं को लेते हैं उसके बाद संबंधित विभाग आयकर विभाग को इसकी सूचना देता है. और इसके बाद आयकर विभाग की नजर होती है कि आप अपनी घोषित आय से अधिक तो खर्च नहीं कर रहे.
कोरोना की दो लहरों के बाद, अब विमानन उद्योग में कुछ तेजी आ रही है. और आप कहीं बाहर जाने की तैयारी कर रहे हैं तो, टैक्स से जुड़े नियमों का जरूर ख्याल रखें.
नकद लेनदेन के नियम
कंपनियों, संस्थाओं, मुद्रा भुगतान फर्मों और बैंकों को फार्म 61A के जरिए आयकर विभाग को अपनी सालाना आर्थिक गतिविधयों के बारे में सूचना देनी होती है. इसमें 10 लाख या इससे अधिक की राशि की विदेशी मुद्रा खरीद की भी सूचना शामिल होती है. ऐसा विदेशी विनिमय नियमों के तहत किया जाता है.
साथ ही इसमें निम्न जानकारियां भी शामिल होती हैं:
विदेश विनिमय कार्ड पर विदेशी मुद्रा के क्रेडिट की जानकारी.
विदेशी मुद्रा में किए गए खर्च की. यह क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या ट्रैवलर्स चेक के जरिए हो सकता है.
आयकर विभाग द्वारा निगरानी के कारण?
असल में आयकर विभाग बड़े लेनदेन पर नजर रखता है. वह यह देखना चाहता है कि संबंधित व्यक्ति ने अपनी घोषित आय से अधिक खर्च तो नहीं किया है. यदि कोई आयकर दाता आईटीआर में अपनी जो आय बताई है, वह उसके खर्च के मुताबिक है या नहीं. यदि करदाता ने कोई जानकारी छुपाई है तो, उसके खिलाफ कार्यवाही किया जा सके.
यदि आयकर दाता फंसता है, उसे क्या करना चाहिए?
· यदि आयकर दाता को लगता है कि उसने कोई जानकारी नहीं छुपाई है, और उसे भेजे गए नोटिस में कुछ विसंगतियां हैं तो उसे आयकर विभाग को आवश्यक दस्तावेजों के साथ सूचना देनी चाहिए.
· अपनी आय के स्रोत बताने चाहिए.
· यदि आमदनी के एवज में कर दिया जा चुका है, तो उसकी जानकारी.
· आप यदि बाहर यात्रा करने जा रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप आयकर विभाग के नियमों का ध्यान रखें. ताकि आपको आगे कोई समस्या न हो.
(लेखक- SAG Infotech के को-फाउंडर और एमडी हैं. व्यक्त की गई राय निजी है.)
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