Income Tax Return: रिवाइज इनकम टैक्स रिटर्न भरने की जो समयसीमा है, अब वो 31 जुलाई 2022 होगी. ऐसे में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की जो पूरी प्रक्रिया है, उसे जानना बेहद जरूरी है.
टैक्स मामलों के जानकार और आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन बताते हैं कि टैक्स रिटर्न भरने की नॉर्मल डेट 31 जुलाई होती है, लेकिन इस वर्ष अप्रैल और मई माह में कोविड की सेकेंड वेव देश के भीतर चल रही थी.
इन दो महीनों में कोरोना के प्रभाव के चलते सभी कार्यालय भी बंद रहे. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने टैक्स रिटर्न जमा कराने की तारीख को 31 जुलाई से बढ़ा कर 30 सितम्बर 2021 किया. करदाताओं को मिलेगी एक और नई सुविधा
सभी करदाता कोशिश करके अपना सारा डाटा इकट्ठा करें और जो भी उनकी टैक्सेबल इनकम बनती है उसे करेक्टली रिपोर्ट करें.
दरअसल, कई बार करदाताओं से गलती हो जाती है, जैसे कि बैंक में कोई खाता खोला है तो सेविंग बैंक का कोई इंटरेस्ट मिला है या कोई फिक्स डिपॉजिट जमा कराया है तो उसके ऊपर इंटरेस्ट मिला है वो टैक्स रिटर्न में शामिल करना रह जाता है.
इसके अलावा किसी कंपनी में यदि निवेश किया हुआ है, तो उसका जो डिविडेंट आता है, उसका ब्योरा देना भी जरूरी है. जी हां, इस साल से डिविडेंट टैक्सेबल करदाता के हाथ में हो गया है. ऐसे में करदाता को अपनी डिविडेंट इनकम भी दिखानी होगी.
वहीं इससे पहले जो भी डिविडेंट इनकम एकजर्प्ट हुई थी, उसे भी दिखाना होगा. इन सबके अलावा यदि कोई और फेसिलिटी मिल रही है तो आपको वो भी दिखानी होगी.
वहीं, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने एक और कंसेशन दिया है, जिसमें कि कोविड-19 के चलते एम्पलॉइज को राहत प्रदान की गई है.
टैक्स एक्सपर्ट वेद जैन बताते हैं कि अब एप के माध्यम से रिटर्न की कैल्क्युलेशन बेहद आसान हो गई है. इस प्रक्रिया में करदाता को केवल अपना डाटा फीड करना होता है.
उसके बाद एप में करदाता की कम्पयूटेशन इनकम पर कितना टैक्स बनता है, जिस तारीख पर करदाता ने टैक्स जमा कराया है उसको भरने के बाद उसके ऊपर कोई इंटरेस्ट की लायब्लिटी बनती है तो वह ऑटोमेटिकली कैल्कुलेट हो जाती है.
आगे जोड़ते हुए वे कहते हैं कि यदि किसी साधारण व्यक्ति की बात करें जो किसी कंपनी या किसी क्षेत्र में कार्य कर रहा है, उसका मेन सोर्स ऑफ इनकम एक ‘सैलरी’ होती है.
सैलरी की इनकम पर एक एंप्लॉयर का दायित्व है कि उसके ऊपर टैक्स काटे और कैल्क्युलेशन कर, फॉर्म-16 भरें. ऐसे में करदाता को एम्पलॉयर से मिला फॉर्म-16 अपने सामने रखना है और उसमें जो सेलरी मिली है और कंपनी की ओर से जो भी डिडक्शन की गई है और जो टैक्स एम्प्लॉई ने दिए हैं, वे सभी करदाता को अपने रिटर्न के अंदर फिलअप करने हैं.
करदाता के द्वारा भरा जाने वाला रिटर्न उसके फॉर्म-16 से मैच करना चाहिए. इस प्रकार से करदाता अपना सही ढंग से टैक्स रिटर्न भर सकता है.
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