सरकार के साथ कदम से कदम मिला कर आज किसान भी पारंपरिक खेती के साथ ही आमदनी (Income) दोगुनी करने के लिए नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं. इसके साथ ही किसान अब बागवानी की खेती में भी रुचि दिखा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के हमीरपुर समेत बुन्देलखंड में आमदनी (Income) दोगुनी करने की दिशा में किसानों ने कैमोमाइल (जादुई) फूलों की खेती शुरू की है. बंजर भूमि में इसकी खेती कर किसानों ने छह माह में ही लाखों रुपए की पूंजी बनाई है. इसके फूल से असाध्य बीमारी भी छूमंतर होती है.
हमीरपुर के मुस्करा ब्लॉक के चिल्ली गांव में सत्तर फीसदी किसान इस कैमोमाइल की खेती कर रहे हैं. इन दिनों खेतों में कैमोमाइल के फूल भी खिले हैं, जिन्हें देख किसान उत्साहित हैं. ब्रम्हानंद बायो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी की सीईओ सैफाली गुप्ता ने बताया कि कैमोमाइल एक वनस्पति है, जिसका आयुर्वेद में बहुत महत्व है. इस पौधे को जादुई फूल भी कहा जाता है.
कैमोमाइल की खेती बुन्देलखंड के किसानों की आर्थिक स्थिति के लिए अब वरदान साबित हो रही है. उन्होंने बताया कि हमीरपुर के चिल्ली गांव में सत्तर फीसदी किसानों ने इस फूल की खेती कर खुशहाली के रास्ते कदम बढ़ाए हैं. बुन्देलखंड के हमीरपुर, ललितपुर समेत अन्य जिलों में कैमोमाइल की खेती को बढ़ावा देने वाले जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी धर्मजीत त्रिपाठी ने बताया कि झांसी के चार ब्लॉकों के तमाम गांवों में किसान इस वनस्पति की खेती कर रहे है, जबकि हमीरपुर के अलावा महोबा और चित्रकूट में भी अब किसानों ने जादुई फूलों की खेती की तरफ कदम बढ़या है.
कैमोमाइल फूल निकोटीन रहित होता है, जो पेट के लिए लाभदायक है. इसका फूल सादगी, सुन्दरता व शांति का प्रतीक है. निश्चित ही इसकी खेती की बुन्देलखंड में असीम संभावनाएं हैं. होम्योपैथिक चिकित्सक डां. कुंवर पाल सिंह ने बताया कि जादुई फूल त्वचा के लिए बड़ा ही गुणकारी होता है. अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, घबराहट, जलन में इसका सेवन करने से बड़ा फायदा मिलता है। चोट, मोच, खरोंच, घाव, रैसेज, पेट के विकारों के इलाज में ये फूल काम आता है.
ब्रम्हानंद बायो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के शेयर होल्डर चन्द्रशेखर तिवारी ने बताया कि चिल्ली, धनौरी, पहरा सहित की गांवों में जादुई फूल की खेती किसान कर रहे हैं. बंजर जमीन पर इसकी खेती कर किसान अब आर्थिक रूप से लगातार मजबूत हो रहे हैं. किसान ने बताया कि इसकी खेती में दस से बारह हजार रुपए का खर्चा आता है, लेकिन इसकी खेती से किसान को छह माह में ही 180 लाख रुपए की आमदनी हुई है. कम लागत में अच्छा मुनाफा होने के कारण अब किसान जादुई की खेती की तरफ रुख किया है.
किसान चन्द्रशेखर तिवारी ने बताया कि एक एकड़ जमीन में पौने पांच क्विंटल जादुई फूल होते हैं, जिन्हें सुखाकर राजस्थान के जयपुर और बाबा रामदेव की कम्पनी के लोगों को आपूर्ति किया जाता है. इसके अलावा मध्यप्रदेश से भी तमाम लोग इस फूल को खरीदकर ले जाते हैं. बताया कि जादुई फूलों की डिमांड आयुर्वेद कम्पनी में ज्यादा होने से अब यहां किसानों ने इसकी खेती का दायरा भी बढ़ाया है क्योंकि इसकी खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है. चिल्ली में पांच सौ किसान जादुई खेती कर रहे हैं.
हमीरपुर के वैद्य दिलीप त्रिपाठी ने बताया कि जादुई फूल मधुमेह और पेट सम्बन्धी सभी बीमारी के लिए रामबाण है. इसके फूल सुखाकर नियमित चाय पीने से शुगर और अल्सर जैसी बीमारी को बड़ा फायदा मिलता है. महोबा के कुलपहाड़ में लम्बे अर्से से आयुर्वेद से इलाज करने वाले डां.आत्मप्रकाश ने बताया कि जादुई फूल से होम्योपैथिक में बहुत सी दवाएं बनती है, जिनसे असाध्य बीमारी का इलाज होता है. उन्होंने बताया कि इस फूल के तेल से भी औषधियां बनती है. साथ ही सौन्दर्य प्रसाधन में इसका प्रयोग होता है.
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