अगले शुक्रवार को लॉर्ड्स के मैदान पर ये असली ‘टेस्ट’ होगा कि कौन क्रिकेट की बेस्ट टीम है. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल (World Test Championship final) में टीम इंडिया और टीम न्यू जीलैंड की होने वाली भिडंत ने खेल प्रेमियों की दुनिया में इस चर्चा को गर्म कर दिया है.
और क्यों ना हो इस कदर की चर्चा, जब ऐसा कोई फाइनल भी टेस्ट क्रिकेट के 144 वर्षों के इतिहास में पहली बार होने जा रहा है. द्वीपक्षी होने के नाते, टेस्ट क्रिकेट को लोकप्रियता के लिए ओडीआई जैसे फॉर्मेट से मुकाबला करना पड़ा था, ऐसा फॉर्मेट जहां की टीमें एक साथ हिस्सा ले पा रही थीं. और फिर, 2000 के दशक में टी20 ने एंट्री की और फैंस के बीच अलग जगह बना ली. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और फ्रैंचाइज लीग खेलों के जरिए कमाई के मोर्चे पर भी, टी20 की बढ़ती लोकप्रियता का मतलब था टेस्ट क्रिकेट पर पीछे छूट जाने का खतरा.
विराट कोहली जैसे टॉप खिलाड़ियों के ये कहने के बावजूद कि टेस्ट मैच ही क्रिकेट की सबसे बड़ी चुनौती है, क्रिकेट बोर्ड इंटरनेशन स्तर पर टी20 के लिए ज्यादा जगह बनाते रहे.
भारत में किसी भी राज्य के एसोसिएशन से पूछें तो पाएंगे कि वो टी20 होस्ट करना ज्यादा पसंद करेंगे, ना कि टेस्ट मैच. वजह समझना भी मुश्किल नहीं. टी20 मैच सिर्फ 3 से चार घंटे में खत्म हो जाता है. लॉजिस्टिक पर खर्च कम आता है और फैंस चौकों-छक्कों के रोमांच के लिए इसके लिए टिकट खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं. वहीं दूसरी तरफ टेस्ट मैच 5 दिनों का सफर है और इसे अक्सर खाली स्टैंड ही ताकते नजर आते हैं.
हालांकि, टेस्ट क्रिकेट को भी इससे फायदा हुआ है. अब बड़े स्कोर भी ज्यादा आसानी से पूरे किए जा रहे हैं, इस खेल में भी अब खिलाड़ी रिस्क ले रहे हैं और जीत-हार तक पहुंच रहे हैं. यही वजह रही कि साल 2019 में 2 से 3 साल के बीच कई टीमों के बीच टेस्ट चैंपियनशिप कराने का आइडिया जन्मा ताकि इस खेल को लेकर भी दर्शकों के बीच रोमांच पैदा हो सके.
महामारी की वजह से इसमें कई अड़चनें आई हैं. लेकिन, अब देखिए, क्रिकेट के जरिए सबसे ज्यादा कमाई करने वाले देश भारत और न्यू जीलैंड जैसे शानदार खिलाड़ियों की टीम इस ताजपोशी के लिए फाइनल खेलेंगी.
टी20 की चमक धमक के बावजूद, टेस्ट मैच भारतीय खिलाड़ियों के लिए अहम रहा है. और उनकी लेगेसी को टेस्ट करियर में प्रदर्शन से ही पहचान मिलेगी.
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