भारत के आईटी सेक्टर में मार्च में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में लगभग 60,000 आउटसोर्स कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. आईटी कंपनियों में वेंडर्स या थर्ड पार्टी कंपनियों के ज़रिए काम पर रखे गए फ्लेक्सी कर्मचारियों की नौकरियां एक साल पहले की तुलना में 7.7 फ़ीसदी घट गईं. हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और रिटेल सेक्टर में हायरिंग मजबूत रही, जिसे घरेलू कंज्यूमर डिमांड से मदद मिली.
मार्च तिमाही में तिमाही दर तिमाही आधार पर आईटी सेक्टर में फ्लेक्सी कर्मचारियों की भर्ती 6 फीसदी कम हो गई है और आने वाली कुछ तिमाहियों में थर्ड पार्टी कंपनियों के ज़रिए रखे जाने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की भर्ती और कम हो सकती है. इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन के मुताबिक फ्लेक्सी कर्मचारियों की कुल मांग दूसरे क्षेत्रों में भी धीमी हो गई है. वित्त वर्ष 2023 में वेंडर्स के माध्यम से 1,77,000 नौकरियां मिली जबकि पिछले वर्ष 2,30,000 लोगों को नौकरी मिलीं थी.
क्यों घट रहीं नौकरियां?
194 बिलियन डॉलर का ये आईटी सेक्टर जिसकी सर्विसेज ने कंपनियों के लिए महामारी के दौरान ऑफिस से बाहर रहकर काम करना आसान बनाया वो इस साल मंदी का सामना कर रहा है. इसका कारण ये है कि कर्मचारी आफ़िस में लौट रहे हैं जिससे खर्च बढ़ रहे हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपीय बाज़ारों से आने वाली आय प्रभावित हो रही है.
जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों की एक रिपोर्ट में भी पिछले हफ्ते चेतावनी दी गई थी कि बढ़ती महंगाई, आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे और रूस-यूक्रेन युद्ध से प्रभावित होने से भारत की आईटी सेवाओं में महामारी के दौरान दिखी तेजी का दौर खत्म हो जाएगा.
ये तस्वीर बेरोज़गारी के आंकड़ों में साफ़ दिखाई देती है. मुंबई स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, अप्रैल में भारत की बेरोजगारी दर लगातार चौथे महीने बढ़कर 8.11 फ़ीसदी हो गई, जो पिछले महीने 7.8 फ़ीसदी थी.