Home Healthcare: जब चीन के वुहान में पहली बार कोविड-19 का केस मिला, तब किसी ने य़ह उम्मीद नहीं की होगी, एक दिन यह बीमारी इतनी खतरनाक साबित होगी और पूरी दुनिया पर इसका असर पड़ेगा. बीते डेढ़ वर्ष में इसने दुनिया के करीब 22 करोड़ लोगों को संक्रमित कर दिया और करीब 46 लाख लोगों को तो अपनी जान गंवानी पड़ी. 15 सितंबर तक, भारत में इस बीमारी 3.33 करोड़ लोगों को अपने चपेट में ले लिया, और 4.43 लोगों की जान चली गई.
कोरोना की पहली लहर ने भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी, दूसरी लहर तो और भी अधिक खतरनाक साबित हुई. बहुतों को तो अस्पतालों में जगह तक नहीं मिली. नतीजतन, कई दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों ने घर पर इलाज करवाना पसंद किया. इनमें ऐसे लोग शामिल थे, जिन्हें फीजियोथैरेपी, कीमोथैरेपी, डायलिसिस जैसे इलाज की जरूरत थी. इस बीच, टेली मेडिसीन द्वारा भी परामर्श दिया गया.
इस व्यवस्था में मरीज अस्पताल न जाकर घर पर ही इलाज करवाता है. नई तकनीकों के इजाद की वजह से ऐसा संभव हो पा रहा है. यह किफायती भी साबित हुआ है. इसमें तय समय के मुताबिक डॉक्टर, नर्स आदि आपके घर पर ही आते हैं.
इसमें शामिल सेवाएं:
· शारीरिक चोट की ड्रेसिंग
· इंजेक्शन – पैरेंटेरल एडमिनिस्ट्रेशन (Injection admin, iv /im /sc)
· डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का इलाज
· यूरिनरी कैथीटेराइजेशन
· हल्के मामलों में कोरोना का इलाज
· प्राइवेट नर्सिंग सेवाएं
· घर पर स्वास्थ्य की देखरेख
होम हेल्थकेयर ट्रीटमेंट को पूरी तरह से समझने के लिए, हमें इसके फायदों की जानकारी लेनी होगी
इसका पहला फायदा तो यह है कि इसमें मरीज घर पर ही स्वतंत्र रहता है. वह अपनी रोजमर्रा के मुताबिक दिन बिता पाता है. साथ-साथ इलाज भी चलता रहता है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, मरीज अस्पताल की तुलना में घर पर ही आराम महूसस करता है. इसकी वजह से स्वास्थ्य में जल्दी सुधार आता है.
होम ट्रीटमेंट न केवल मरीज के लिए सुविधाजनक होता है, बल्कि उसके परिवार के सदस्यों और दोस्तों के लिए भी आसान होता है. अस्पताल की तरह इसमें समय की पाबंदी नहीं होती, और किसी भी समय रिश्तेदार मिलने आ सकते हैं. इससे मरीज को मानसिक सहारा मिलता है.
बार-बार अस्पताल जाने से मरीज और उसके रिश्तेदार पर संक्रमण का खतरा बना रहता है. कोरोना ने तो इस बात पर मुहर लगा दी है.
होम केयर ट्रीटमेंट से अस्पताल के कई खर्च बचते हैं, जैसे रूम रेंट, डॉक्टर की फीस वगैरह. अस्पताल में इलाज के मुकाबले इसमें कम खर्च आता है.
इसमें मरीज को व्यक्तिगत रूप से देखभाल मिल पाती है, क्योंकि नर्सिंग की सेवा पूरी तरह से संबंधित मरीज के लिए ही होती है. इससे इलाज और भी प्रभावशाली हो जाता है.
रिसर्च के मुताबिक, भारत में अधिकांश बुजुर्ग मरीज (करीब 85 फीसदी) घर पर ही इलाज करवाना पसंद करते हैं. इससे उन्हें मानसिक शांति मिलती है.
अस्पताल जाने के लिए, अक्सर एबुलेंस या टैक्सी वगैरह की जरूरत पड़ती है. घर पर इलाज करवाने से इस जरूरत पर निर्भरता कम हो जाती है और पैसों की भी बचत होती है.
जैसे-जैसे होमकेयर ट्रीटमेंट की लोकप्रियता बढ़ रही है. बीमा कंपनियां भी अपनी हेल्थ पॉलिसियों के नियमों में बदलाव कर रही हैं. वे मेडिक्लेम में होमकेयर को भी कवरेज दे रही हैं. होमकेयर ट्रीटमेंट के दौरान इन सेवाओं को कवर किया जाने लगा है:
· घर पर डायग्नोसिस कराने का खर्च
· डॉक्टर द्वारा दी गई दवाईयों का खर्च
· डॉक्टर के विजिट की फीस
· नर्सिंग शुल्क
कोई भी हेल्थ बीमा लेने से पहले, आपको संबंधित कवरेज के बारे में पूरी तरह से जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए. यह देखना चाहिए कि किसी बीमारी को कवर किया जा रहा है और किसे नहीं.
(Writer: Chief – Claims, Underwriting and Reinsurance, ICICI Lombard General Insurance Company Limited)
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