केंद्र सरकार फिलहाल गेहूं और चने पर आयात शुल्क में कटौती नहीं करेगी. सरकार के पास खुले बाजार में गेहूं और चने की सप्लाई के लिए पर्याप्त स्टॉक है और उस स्टॉक को ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से आयात शुल्क में कटौती नहीं होगी. फिलहाल देश में गेहूं के आयात पर 40 फीसद टैक्स लगता है, जबकि ऑस्ट्रेलिया से इंपोर्ट होने वाले काले चने पर 66 फीसद टैक्स है और काबुली चने के इंपोर्ट पर 40 फीसद ड्यूटी लगती है.
बता दें कि सरकार ने अप्रैल 2019 में गेहूं के आयात पर 40 फीसद की ड्यूटी लगा दी थी. एफसीआई ने चालू वित्त वर्ष में पिछले हफ्ते तक मुक्त बाजार बिक्री योजना के तहत थोक खरीदारों को 3.9 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की है. 1 नवंबर तक एफसीआई के पास 21.87 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक है. नियमों के मुताबिक केंद्रीय पूल में सरकार के पास 1 अप्रैल 2023 को न्यूनतम 7.4 मिलियन टन का गेहूं का बफर स्टॉक होना चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले साल अप्रैल में नई फसल के आने तक नैफेड के पास 2.2 मिलियन टन चने का बफर स्टॉक भारत दाल योजना के तहत बिक्री करने और खुले बाजार में थोक खरीदारों द्वारा खरीद के लिए पर्याप्त होगा. बता दें कि मौजूदा समय में ऑस्ट्रेलिया से इंपोर्ट होने वाले काले चने पर 66 फीसद ड्यूटी है. वहीं सरकार ने तंजानिया, मोजाम्बिक और मलावी जैसे सबसे कम विकसित देशों से दलहन इंपोर्ट को खत्म कर दिया है. कारोबारियों का कहना है कि घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार को काबुली चना पर 40 फीसद के मौजूदा आयात शुल्क को कम करना चाहिए, ताकि रूस से इंपोर्ट किया सके.
Published - November 29, 2023, 04:57 IST
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।