अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भारत में कोविड-19 की ”विनाशकारी” दूसरी लहर को आगे आने वाले समय में और बुरे संकट का संकेत बताया है और कहा है कि इस देश के हालात उन गरीब और मध्य आय वाले देशों में के लिए चेतावनी हैं जो अभी तक इस महामारी से बचे हैं.
आईएमएफ के अर्थशास्त्री रुचिर अग्रवाल और संगठन की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ द्वारा लिखी गयी एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्तमान गति से भारत में 2021 की समाप्ति तक 35 प्रतिशत से कम लोगों को ही टीका लगने की उम्मीद है.
शुक्रवार को जारी की गयी रिपोर्ट में कहा गया, ‘ब्राजील के बाद कोविड19 की भारत में जारी विध्वंसक दूसरी लहर इस बात का संकेत है कि विकासशील देशों में आगे और भी बुरी स्थिति आ सकती है.
इसमें कहा गया कि जहां कोविड की पहली लहर से निपटने में भारत की स्वास्थ्य प्रणाली काफी हद तक सफल रही, इस बार स्वास्थ्य प्रणाली पर इतना बोझ पड़ा है कि लोग ऑक्सीजन, अस्पताल के बिस्तर और चिकित्सीय सेवा जैसी चिकित्सीय आपूर्तियों की कमी से मर रहे हैं.
संगठन ने कहा, ‘भारत की स्थिति महामारी के निम्न और मध्य आय वाले उन देशों के लिए संभावित संकट की चेतावनी है जो अभी इससे बचे हुए हैं.”
रिपोर्ट के अनुसार टीके की मौजूदा द्विपक्षीय खरीद और कोवैक्स के जरिए मिलने वाले टीकों से 2022 की पहली छमाही तक भारत की करीब 25 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो जाएगा. लेकिन अपनी 60 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण के लिए भारत को उन संपर्कों के जरिए करीब एक अरब टीके के पर्याप्त ऑर्डर देने होंगे जो अतिरिक्त क्षमता में निवेश को बढ़ावा देते हैं.