बात करीब 4 महीने पहले की है. मंडियों में नया गेहूं आना शुरू ही हुआ था और सरकार को रिकॉर्ड उपज की उम्मीद भी थी. उसी उम्मीद के आधार पर पीएम मोदी ने WTO के सामने मांग रखी कि MSP पर खरीदे भारतीय गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाए. लेकिन 4 महीने में हालात तेजी से बदले, गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन तो दूर उपज पिछले साल से भी 31 लाख टन घट गई. सरकार को मजबूर होकर गेहूं निर्यात पर रोक लगानी पड़ी और अब हालात ऐसे हैं कि देश में गेहूं का भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है और घरेलू जरूरत के लिए भी इंपोर्ट करना पड़ सकता है. खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों ने भी कह दिया है कि कीमतें काबू में नहीं आईं तो गेहूं आयात पर लगने वाली 40 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी को हटाया जा सकता है.
लेकिन बड़ा सवाल है कि इंपोर्ट ड्यूटी हटा भी गई तो क्या विदेशी गेहूं आयात की गुंजाईश है? वैश्विक बाजारों में गेहूं का भाव देखें तो ऑस्ट्रेलिया का गेहूं 385 डॉलर के करीब बिक रहा है जबकि रूस का गेहूं के लिए 327 डॉलर के करीब भाव मिल रहा है. रुपए में कहा जाए तो ऑस्ट्रेलिया के गेहूं का भाव 30600 रुपए के ऊपर है और रूस के गेहूं का भाव 26000 रुपए के करीब. इसमें मालभाड़ा शामिल किया जाए तो कीमत और बढ़ जाएगी.
ओरिगो ई-मंडी के सीनियर मैनेजर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि मालभाड़ा मिलाकर चेन्नई पोर्ट पर ऑस्ट्रेलिया का गेहूं प्रति टन 425 डॉलर यानि लगभग 33800 रुपए में पड़ेगा. जबकि रूस के गेहूं पर प्रति टन 29400 रुपए से ऊपर खर्च आएगा यानी दोनों ही परिस्थितियों में विदेशी गेहूं भारतीय गेहूं के मौजूदा भाव से महंगा पड़ेगा. चेन्नई में मिल क्वलॉलिटी भारतीय गेहूं का भाव 28500 रुपए के करीब जो है और यूपी के गेहूं को मौजूदा भाव पर चेन्नई पहुंचाया जाए तो कीमत 27650 रुपए पड़ेगी.
एक बात तो साफ है सरकार अगर गेहूं आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाती है तो उसका फायदा तभी होगा. जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें घटेंगी क्योंकि मौजूदा भाव पर आयात की गुंजाईश नजर नहीं आ रही. इस बीच देश में गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार कुछ और घरेलू उपाय जरूर कर सकती है. अटकलें हैं कि सरकार गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगा सकती है. ऐसा होने पर बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और भाव पर दबाव आ सकता है. संभावना ये भी है कि OMSS के जरिए सरकार अपने स्टॉक से गेहूं की कुछ मात्रा बाजार में उतारे.