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देश में जीवन बीमा कंपनियों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2023 में इन कंपनियों के प्रीमियम में 20 फीसद की बढ़त दर्ज हुई है. वित्त वर्ष के अंतिम महीने मार्च में यह बढ़त 35 फीसद रही. जीवन बीमा पॉलिसियों की मांग में यह बढ़त मुख्य रूप से वित्त वर्ष के अंत में देखी गई जिसमें निजी जीवन बीमा क्षेत्र विजेता बनकर उभरा है.
दूसरी ओर सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है. मार्च में देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी के प्रीमियम में 32 फीसद की गिरावट आई. वित्त वर्ष 2023 के प्रीमियम में केवल 17 फीसद की बढ़ोतरी हुई. नए बिजनेस प्रीमियम में एलआईसी की हिस्सेदारी लगातार घट रही है. वित्त वर्ष 2023 में यह घटकर 63% के निचले स्तर पर रही.
जीवन बीमा कंपनियों के कारोबार में सिंगल प्रीमियम पॉलिसी का बड़ा योगदान रहा. जो लोग सीजनल रोजगार या बिजनेस से जुड़े हैं उन्हें यह पॉलिसी खूब पसंद आ रही है. ऐसे लोगों को यह पता नहीं होता कि आगे उनके पास नियमित प्रीमियम भरने लायक पैसा होगा या नहीं, इसलिए सिंगल प्रीमियम पॉलिसी की मांग बढ़ रही है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि जुलाई 2022 में कुल बीमा प्रीमियम में सिंगल प्रीमियम का योगदान बढ़कर 79 फीसद पर पहुंच गया जो इससे एक साल पहले 65 फीसद पर था.
लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 में जनवरी से मार्च की तिमाही में जीवन बीमा कंपनियों को इंडिविजुअल सिंगल प्रीमियम पॉलिसी से नई बिजनेस आय में रिकॉर्ड वृद्धि हुई. इस साल बजट में पांच लाख रुपए से अधिक के प्रीमियम की पॉलिसी टैक्स के दायरे में आने से भी मार्च में सिंगल प्रीमियम पॉलिसी की चमक बढ़ी है.
क्या है फायदा
सिंगल प्रीमियम इंश्योरेंस पॉलिसी में आपको समय-समय पर प्रीमियम नहीं भरना पड़ता है. आप एक बार प्रीमियम चुका कर तमाम तरह के झंझट से छुटकारा पा लेते हैं. जिन लोगों के पास एकमुश्त पैसा है उनके लिए यह पॉलिसी पहली नजर में ही पसंद आ जाती है. पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि सिंगल प्रीमियम पॉलिसी आपको एकमुश्त पैसा लगाकर जीवन भर का लाइफ कवर लेने की सुविधा देती है. ग्राहक को 10-15 साल की पॉलिसी में हर साल प्रीमियम देने की चिंता नहीं करनी पड़ती. सिंगल प्रीमियम में जो एक साथ भुगतान किया जाता है वह नियमित प्रीमियम वाली पॉलिसी में जमा किए गए कुल पैसे से कम होता है. इस तरह एकमुश्त निवेश से कुछ बचत भी हो जाती है. कोरोना महामारी के बाद से सिंगल प्रीमियम पॉलिसी की मांग में इजाफा हुआ है.
किसके लिए सही
जीवन बीमा में रेगुलर पॉलिसी सही या सिंगल प्रीमियम पॉलिसी, यह एक बड़ा सवाल है. इसके लिए कुछ जरूरी बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है. सिंगल प्रीमियम पॉलिसी उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प है जो अपनी अच्छी खासी रकम एक बार में लॉक करने और उसके बदले रिटर्न प्राप्त करने के लिए तैयार हैं. आमतौर पर सिंगल प्रीमियम पॉलिसी की अवधि रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी की तुलना में कम होती है. इस पॉलिसी को अक्सर ऊंची आय वाले लोग ही खरीदते हैं.
क्या हैं टैक्स के नियम
जब आप सिंगल प्रीमियम पॉलिसी के लिए भुगतान करते हैं तो उस रकम पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत कर कटौती का लाभ मिलता है. इस धारा के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर कर कटौती का लाभ ले सकते हैं. यह लाभ एक बार ही मिलेगा. मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम धारा 10 (10डी) के तहत टैक्स फ्री है. हालांकि इस मोर्चे पर आपको थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है. एक अप्रैल 2012 के बाद जारी हुई पॉलिसी के लिए टैक्स में छूट तभी मिलेगी जब किसी वित्त वर्ष में चुकाया गया प्रीमियम समअश्योर्ड के 10 फीसद से अधिक नहीं हो. यह नियम सिंगल प्रीमियम पॉलिसी पर भी लागू है.
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