लाइक, शेयर, सब्सक्राइब का खेल तेजी से बढ़ता जा रहा है. यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर कंटेंट बनाकर लोगों के हाथ लाखों रुपये लग रहे हैं. ये मोटी कमाई कइयों को इंफ्लुएंसर बनने का बढ़ावा दे रही है. मार्केट में कॉम्पटीशन तगड़ा होता जा रहा है. मगर सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाने वाले आखिर पैसे कैसे कमाते हैं?
इसका सीधा जवाब है, विज्ञापनों से. ब्रांड्स से होने वाली डील से सोशल मीडिया सेलेब्रिटी मोटे पैसे कमा ले जा रहे हैं. डेनमार्क की कंपनी इंफ्लुएंसर मार्केटिंग हब का अनुमान है कि 2021 के अंत तक इंफ्लुएंसर मार्केटिंग का बाजार 13.8 अरब डॉलर का हो जाएगा. ब्रांड्स विज्ञापन के इस जरिए पर जोर बढ़ाते जा रहे हैं.
क्या है CPA मॉडल
अब तक इसमें इंफ्लुएंसर्स के हिसाब से चीजे चलती आ रही थीं. ब्रांड से डील होने के बाद वे तय हो चुके पैसे लेते ही थे, चाहे उनकी तरफ से किया गया विज्ञान अच्छे नतीजे दे या ना दे. इसमें होने वाले नुकसान से बचने के लिए एडवरटाइजर अब एक नए मॉडल ‘CPA’ (कॉस्ट-पर-एक्शन) के आधार पर डील कर रहे हैं. इसमें इंफ्लुएंसर की पॉपुलैरिटी के आधार पर पैसे तय नहीं होते. विज्ञापन से मिल रहे रिजल्ट के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं.
इसमें एडवरटाइजर कुछ लक्ष्य तय करते हैं, जिन्हें इंफ्लुएंसर को पूरा करना होता है. पोस्ट पर कितने लाइक मिले, कितने लोगों ने कमेंट किया, कितने लोग उस पोस्ट की वजह से उन तक पहुंचे, ये उन लक्ष्यों के कुछ उदाहरण हैं.
लिंक्स के जरिए ट्रैक किया जाता है कि कितने ग्राहक उन तक पहुंच रहे हैं. देखा जाता है कि इंफ्लुएंसर अपने कितने फॉलोअर्स को ब्रांड के ग्राहक बना पा रहा है. फिर उस हिसाब से पेमेंट होती है.
इंफ्लुएंसर कैसे कमा सकते हैं पैसे
इंफ्लुएंसर बनने की इच्छा रखने वालों के लिए इस मॉडल को समझना इसलिए बेहद जरूरी होता जा रहा है. इसे अगर अच्छे से समझ लिया जाए, तो इंफ्लुएंसर भी इसे भुना सकते हैं. यह मॉडल उनके लिए भी पहले से ज्यादा पैसे कमाने के रास्ते खोलता है, जिनके फॉलोअर बहुत ज्यादा नहीं है.
विज्ञापन करने के पुराने तरीके में एक बड़ा फैक्टर यही होता था कि उसे कितने लोग फॉलो करते हैं. उस आधार पर उनकी कीमत तय होती थी. 10 लाख से अधिक फॉलोअर वाले इसमें टॉप पर रहते थे. इनके बाद एक लाख से 10 लाख, 20 हजार से 10 लाख, पांच हजार से 20 हजार और एक हजार से पांच हजार, कुछ इस तरह से प्राइस बैंड तय करने के लिए सेगमेंट बांटे जाते थे.
CPA मॉडल में विज्ञापन के परफॉर्मेंस को तवज्जो मिलती है. ऐसे में अधिक पैसे कमाने का मौका बनता है. साथ ही, एक विज्ञापन वाले पोस्ट से अगर कोई छह महीने बाद भी ग्राहक आते हैं, तो भी ब्रांड उन्हें पैसे देता है. इस तरह वे एक विज्ञापन से लंबे समय तक पैसे कमा सकते हैं.
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