Household Savings: घरेलू बचत में वित्त वर्ष 2023-24 में लगातार तीसरे साल गिरावट आने का अनुमान है, क्योंकि होम और ऑटो लोन पर बढ़ते ब्याज के कारण देनदारियों में बढ़ोतरी जारी है. हालांकि, पर्सनल लोन पर भारतीय रिजर्व बैंक के अंकुश से 2024-25 में यह इसमें बदलाव भी आ सकता है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी ताजा राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी-2024 के अनुसार, शुद्ध घरेलू बचत 3 वर्षों में 2022-23 तक 9 लाख करोड़ रुपये की गिरावट के साथ 14.16 लाख करोड़ रुपये रह गई.
इक्रा (ICRA) की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने आंकड़ों पर बात करते हुए कहा कि 2022-23 में घरेलू बचत में गिरावट की मुख्य वजह देनदारियों में सालाना आधार पर 73 प्रतिशत की वृद्धि रही. उन्होंने कहा कि आंकड़ों पर गौर करें तो बीते वित्त वर्ष 2023-24 में भी घरेलू बचत में गिरावट का ट्रेंड जारी रहने का अनुमान है. घरेलू बचत से जुड़े आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं.
नायर ने कहा कि हालांकि 2024-25 में यह ट्रेंड उलट सकता है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने बिना गारंटी वाले पर्सनल लोन पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं.
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने इस गिरावट की वजह पोर्टफोलियो में बदलाव को बताया, जहां बचत को रियल एसेट्स में लगाया जा रहा है. उन्होंने यहां एनसीएईआर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत कम रही और इसे लेकर कुछ चिंताएं थीं. इससे पता चला कि घरेलू बचत कम हो रही है, लेकिन वास्तव में यह निवेश पोर्टफोलियो में एक बदलाव था जहां बचत रियल एसेट्स में जा रही थी.
वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू बचत 23.29 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी. उस वर्ष कोविड-19 की दूसरी लहर आई थी. हालांकि, उसके बाद से इसमें गिरावट जारी है. इसके बाद यह 2021-22 में यह 17.12 लाख करोड़ रुपये और 2022-23 में 14.16 लाख करोड़ रुपये पर आ गई.
फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और एनबीएफसी द्वारा परिवारों को दिए गया कर्ज 2022-23 में 4 गुना होकर 3.33 लाख करोड़ रुपये हो गया . यह 2020-21 में 93,723 करोड़ रुपये था. वित्त वर्ष 2021-22 के 1.92 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की तुलना में 2022-23 में यह 73 प्रतिशत बढ़ा. रबीआई ने पर्सनल लोन्स में वृद्धि को देखते हुए पिछले साल नवंबर में बिना गारंटी वाले लोन के लिए प्रावधानों में बदलाव किया था.