कोरोना महामारी की चपेट में आने के बाद बाजार फिर से वापसी कर रहा है लेकिन एक सेक्टर ऐसा भी है जिसे इस संकट से बाहर आने में लंबा समय लग रहा है. कोरोना महामारी की वजह से जगह-जगह हुए लॉकडाउन के चलते मार्केट में सेमीकंडक्टर चिप्स का अकाल पड़ने लगा है. इन चिप्स का इस्तेमाल नए वाहन खासतौर पर कार बनाने में किया जाता है.
भारत में इन चिप्स का सीमित स्टॉक ऑटो इंडस्ट्री के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. एक तरफ देश में त्योहार शुरू हो चुके हैं. ऐसे में ज्यादातर मॉडल पर छह से सात महीने की वेटिंग भी देखने को मिल रही है. पिछले डेढ़ साल से मंदी की मार झेल रहे ऑटो सेक्टर को इस बार बाजार में बड़ी वापसी की उम्मीद थी लेकिन फिलहाल चिप्स की कमी के कारण इसमें और देरी हो सकती है.
यह बड़ी बेचैनी की बात है कि किसी भी प्रमुख कार निर्माता कंपनी ने वैश्विक आपूर्ति बाधाओं से निपटने के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा स्थापित करने के बारे में कभी नहीं सोचा. शायद इसीलिए सेमीकंडक्टर चिप्स के लिए भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर है जबकि कोविड-19 काल में स्वदेशीकरण को मजबूत करने की मांग सामने आ चुकी है और मेक इन इंडिया के क्षेत्र में आगे बढ़ने का बेहतर विकल्प भी दिखाई देने लगा है.
ऑटो इंडस्ट्री में अब कंपनियों को स्वदेशीकरण पर भी ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उद्योग देश में उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने में सक्षम है, उन्हें ऑटो पार्ट्स के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करने के तरीके खोजने होंगे.
यह सोचने वाली बात है कि मलेशिया में लगे लॉकडाउन से भारत में वाहनों के प्रोडक्शन में बाधा आएगी क्योंकि सेमीकंडक्टर चिप्स ऑटोमोबाइल में फिट होने के लिए आते मलेशिया से भारत आती हैं. एक एशियाई देश में एक कोविड की वृद्धि हुई है और अब कार का प्रोडक्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि लहर कब घटेगी और उस देश में उत्पादन फिर शुरू होगा.