Hallmarking: केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और ज्वैलर्स इंडस्ट्री के नेताओं के बीच एक बैठक के दौरान ज्वैलरी के लिए Hallmarking और विशिष्ट पहचान संख्या (UID number) पर ज्वैलर्स की चिंताओं का समाधान कर किया गया है. लंबे समय से सर्राफा संगठन की ओर से एक निश्चित हॉलमार्क की मांग की जा रही थी. इस मामले को लेकर सरकार और सर्राफा संगठनों के बीच काफी विवाद भी हुआ. लेकिन मंगलवार को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के साथ हुई वर्चुअल बैठक में हॉलमार्क और UID संख्या के विवाद को सुलझा लिया गया.
मीटिंग के दौरान दो अहम फैसले किये गए. पहला फैसला यह कि अब HUID नंबर को हॉलमार्किंग सेंटर से ज्वैलर्स को ट्रांसफर नहीं करना होगा. यह ज्वैलर्स के डेटा के दुरुपयोग को रोकेगा और छोटे ज्वैलर्स को मदद करेगा क्योंकि उनमें से कई के पास इस डेटा को स्टोर करने के लिए सिस्टम नहीं है.
दूसरा अहम फैसला यह लिया गया कि हॉलमार्किंग सेंटर पर ‘फर्स्ट इन फर्स्ट आउट’ नियम लागू किया जाएगा. जिसका अर्थ है कि यदि कोई छोटा जौहरी या निर्माता पहले आया है, तो उसका हॉलमार्किंग ऑर्डर पहले देना होगा.
इन दोनों फैसलों की सर्राफा संगठन ने सराहना की है. पिछले कुछ हफ्तों में सॉफ्टवेयर में गड़बड़ियों के कारण प्रक्रिया में कुछ गलतियां देखने को मिली थी. सरकार ने ज्वैलर्स को आश्वासन दिया है कि उन्हें इसके लिए कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ेगा.
बैठक के बाद अखिल भारतीय रत्न और आभूषण परिषद के अध्यक्ष आशीष पेठे ने बताया कि बैठक में अधिकारियों ने यह निर्णय लिया है कि सभी तरह की छूट को अधिसूचित (notified) करने के बाद उद्योग की अधिकांश समस्याओं को जल्द हल कर लिया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बैठक में कहा था कि कोई भी सरकारी विभाग HUID (हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन) नंबरों को ट्रैक नहीं करेगा, जो एक बड़ी चिंता थी, क्योंकि इसे ज्वैलर्स को अपने रिकॉर्ड में मैन्युअल रूप से दर्ज करना पड़ता था.
ज्वैलरी के हर टुकड़े के लिए सरकार ने हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (HUID) नंबर अनिवार्य कर दिया था. इस फैसले के विरोध में छोटे ज्वैलर्स, निर्माताओं ने हड़ताल पर जाकर इससे उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से अपील की थी. सरकार ने बैठक में ज्वैलर्स को आश्वासन दिया था कि UID के आधार पर कोई ट्रैकिंग नहीं होगी.
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