केंद्र सरकार ने न्यूनतम वेतन (minimum wage) और नेशनल फ्लोर मिनिमन वेज (national floor minimum wage) को तय करने के लिए एक पैनल गठित किया है. ये पैनल सरकार को न्यूनतम वेतन तय करने के बारे में सिफारिशें देगा. इस कमेटी की अगुवाई प्रोफेसर अजीत मिश्रा करेंगे.
लेबर मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा है, “लेबर और रोजगार मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया है और एक एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया है जो कि मिनिमम वेजेज और नेशनल फ्लोर मिनिमम वेजेज तय करने के लिए टेक्निकल इनपुट और सिफारिशें देगा.”
अलग-अलग कैटेगरी के वर्कर्स के लिए अलग-अलग न्यूनतम वेतन है. यहां नेशनल फ्लोर का मतलब पूरे देश में सभी कैटेगरी के वर्कर्स के लिए लागू होने वाले वेतन के न्यूनतम स्तर से है.
क्या हुए हैं नए बदलाव?
भारत में 2020 तक न्यूनतम वेतन (minimum wage) को मिनिमम वेजेज एक्ट, 1948 के हिसाब से रेगुलेट किया जाता था. लेकिन, कोड ऑन वेजेज एक्ट, 2019 के आने के बाद इसमें बदलाव हुआ है.
इसके तहत चार लेबर रेगुलेशंस- मिनिमम वेजेज एक्ट, 1948, पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट, 1936, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, 1965 और इक्वल रीमुनेरेशन एक्ट, 1976 हट गए हैं और नया वेज कोड इनकी जगह ले रहा है.
नए वेज कोड के मुताबिक कोई भी कंपनी अपने कर्मचारियों को तय न्यूनतम वेतन (minimum wage) से कम नहीं दे सकती है. इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारें कम से कम हर पांच साल में इस न्यूनतम वेतन की समीक्षा और संशोधन करेंगी.
भारत में कैसे तय होता है मिनिमम वेज?
भारत में न्यूनतम वेतन (minimum wage) केंद्र और राज्यों दोनों स्तरों पर तय होता है. नेशनल लेवल पर फिलहाल न्यूनतम वेतन 176 रुपये प्रतिदिन के करीब है. ये हर महीने 4,576 रुपये बैठता है.
ये एक नेशनल फ्लोर-लेवल वेज है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है.
2,000 जॉब्स और 400 कैटेगरीज
भारत में न्यूनतम वेतन (minimum wage) तय करने के लिए अनस्किल्ड वर्कर्स (unskilled workers) के लिए करीब 2,000 अलग-अलग तरह के जॉब्स और रोजगार की 400 से ज्यादा कैटेगरीज को देखा जाता है. इनमें हर तरह की जॉब के लिए न्यूतनम दैनिक मजदूरी तय की गई है.
इसे तय करने वाला एक जटिल सिस्टम है और सरकार अब इसे ज्यादा वैज्ञानिक और पुख्ता बनाना चाहती है.
मोटे तौर पर भारत में वर्कर्स को अनस्किल्ड (unskilled workers), सेमी-स्किल्ड (semi-skilled workers), स्किल्ड (skilled workers) और हाइली स्किल्ड (अति-कुशल) (highly skilled workers) कैटेगरीज में बांटा जाता है. इन सभी के न्यूनतम वेतन अलग-अलग तय किए जाते हैं.
मिसाल के तौर पर, 31 अक्टूबर 2019 के मुताबिक, दिल्ली में इन कैटेगरीज में न्यूनतम वेतन इस प्रकार है.
अनस्किल्ड वर्कर्स (unskilled workers) के लिए प्रतिदन 556 रुपये यानी 14,468 रुपये महीना न्यूनतम वेतन तय है. सेमी-स्किल्ड वर्कर्स के लिए ये दर 612 रुपये प्रतिदिन या 15,920 रुपये महीना और स्किल्ड वर्कर्स के लिए ये 673 रुपये रोजाना या 17,508 रुपये प्रतिमाह तय की गई है. सभी राज्यों में ये दरें अलग-अलग हैं.
वेतन तय करने का तरीका बताएगा पैनल
इस पैनल का गठन तीन साल के लिए किया गया है. वेतन दरों को तय करने के लिए प्रो. मिश्रा की अगुवाई वाला पैनल इस मामले में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं को देखेगा. साथ ही ये पैनल एक वैज्ञानिक क्राइटेरिया और मैथेडोलॉजी भी विकसित करेगा जिसके तहत तनख्वाहों को तय किया जा सके.
ये हैं सदस्य
इस एक्सपर्ट पैनल की अगुवाई कर रहे प्रो. अजीत मिश्रा इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ के डायरेक्टर हैं.
उनके अलावा, इस एक्सपर्ट ग्रुप में IIM कलकत्ता के प्रो. तारिका चक्रवर्ती, नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (NCAER) की सीनियर फेलो अनुश्री सिन्हा, संयुक्त सचिव विभा भल्ला, वी वी गिरि नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट (VVGNLI) के डायरेक्टर जनरल एच श्रीनिवास शामिल हैं. इसके अलावा, लेबर मिनिस्ट्री के सीनियर लेबर एंड एंप्लॉयमेंट एडवाइजर डी पी एस नेगी इसके मेंबर सेक्रेटरी हैं.
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