फंडिंग की दिक्कत का सामना कर रहे स्टार्टअप्स के लिए एक अच्छी खबर है. भारतीय स्टार्टअप्स में 21 देशों से होने वाले निवेश पर अब एंजल टैक्स नहीं लगेगा. वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है जिसमें इन 21 देशों के नाम का उल्लेख किया गया है. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं. सरकार की नई घोषणा के मुताबिक वैसे भारतीय स्टार्टअप जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं हैं, उनमें नॉन रेजीडेंट इन्वेस्टमेंट पर एंजल टैक्स नहीं लगेगा. सरकार ने इस साल बजट में इस निवेश पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया था.
क्या है एंजल टैक्स?
एंजेल टैक्स एक कर व्यवस्था है जिसकी शुरुआत 2012 में हुई थी. इसे मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के मकसद लागू किया गया था. अगर कोई स्टार्टअप एंजेल इन्वेस्टर्स से फंड जुटाता है और यह फंडिंग शेयर की फेयर वैल्यू से ज्यादा पर होती है तो इस पर टैक्स लगाया जा सकता है. एंजल इन्वेस्टर का मतलब उन हाई नेट वर्थ लोगों यानी निवेशकों से है जो स्टार्टअप्स या छोटी और मझौली कंपनियों के शुरुआती दौर में अपनी निजी आय निवेश करते हैं. इस निवेश के बदले उन्हें कंपनी में इक्विटी मिलती है.
एंजल टैक्स का प्रावधान
सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में उन कंपनियों मेें निवेश को एंजल टैक्स की जद में ला दिया था जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं हैं. हालांकि इससे उन कंपनियों को बाहर रखा गया जो उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) से मान्यता प्राप्त हैं. सरकार के इस कदम के बाद से स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री कुछ विदेशी निवेशकों के वर्ग के लिए छूट की मांग कर रही थी.
अब कुछ महीने बाद सरकार ने उनकी मांग को मंजूरी देते हुए ये कदम उठाया है. छूट वाले देशों में ऑस्ट्रिया, कनाडा, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, इजरायल, इटली, जापान, रूस, न्यूजीलैंड और स्वीडन सहित अन्य भी शामिल है. जानकारों का कहना है कि इस कदम के साथ सरकार का उद्देश्य उन देशों से भारत में ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करना है जहां मजबूत रेगुलेटरी ढांचा है.