बचत के मामलों में भारतीयों का कोई तोड़ नहीं है फिर चाहे वह टूथपेस्ट की बात हो या फिर पुराने कपड़ों की. महामारी के दौर में इसी आदत का फायदा वैक्सीन की बचत के तौर पर भी नजर आ रहा है. दरअसल, सरकार ने करोड़ों रुपये की कोविड वैक्सीन (vaccine) डोज की बचत गुजरे कुछ महीनों में की है. 20 जुलाई को सरकार ने राज्यसभा में इसकी जानकारी दी है.
शायद आप यकीन न करें, लेकिन ये सच है कि हेल्थकेयर वर्कस की स्मार्टनेस और सरकार के वैक्सीन्स के अधिकतम इस्तेमाल करने की नीति से वैक्सीन (vaccine) की लाखों डोज एक्स्ट्रा बची हैं. अगर कीमत के लिहाज से देखा जाए तो ये करोड़ों रुपये की बचत साबित होती है. एक तरफ फॉर्मा कंपनियों ने वैक्सीन (vaccine) की बढ़ी हुई कीमतें सरकार के आगे रख दी हैं. वहीं, दूसरी ओर सरकार ने बकायदा सोची-समझी नीति को अपनाकर अब तक लाखों डोज का फायदा लिया है. आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हुआ?
दरअसल हाल ही में पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोवीशील्ड (Covishield) के एक डोज पर प्राइस 200 से बढ़ाकर 206 रुपये कर दिया है. वहीं, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन (Covaxin) पर दाम 206 रुपये से बढ़ाकर 215 रुपये कर दिया है. इसमें GST शामिल नहीं है और ये प्राइस सिर्फ केंद्र सरकार के लिए है.
इन कीमतों में बढ़ोतरी इस वजह से भी हुई है क्योंकि इन कंपनियों के साथ सरकार कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू हुआ है. पिछला कॉन्ट्रैक्ट जनवरी से जुलाई के लिए था और अब नया कॉन्ट्रैक्ट अगस्त से दिसंबर 2021 तक के बीच हुआ है.
अब तक सरकार ने 41 लाख से भी ज्यादा डोज एक्स्ट्रा निकाली हैं. इनमें अधिकांश कोवीशील्ड (Covishield) वैक्सीन हैं जिसका नया प्राइस 206 रुपये है. अब अगर इन बचाई गई डोज की कीमत का आकलन करें तो ये आंकड़ा 84.46 करोड़ रुपये के करीब बैठता है.
16 जनवरी से देश में वैक्सीनेशन चल रहा है. शुरुआत से अब तक काफी डोज बर्बाद भी हुई हैं क्योंकि एक बार वॉयल (vial या शीशी) खुलने पर 4 से 6 घंटे के भीतर उसे खत्म करना पड़ता है. जब अधिकारियों ने इस पूरी स्थिति की समीक्षा की तो पाया कि सीरम कंपनी जिस कोविशील्ड को तैयार कर रही है, उसके एक वॉयल में 6 ml वैक्सीन होती है. कंपनी के अनुसार एक वॉयल में 10 डोज होती हैं लेकिन एक्स्ट्रा मात्रा भी देती है ताकि ढक्कन, सिरिंज या वॉयल में भी कुछ मात्रा चिपकी रह जाती है.
बस सरकार के बचत और वैक्सीन की बर्बादी रोकने पर फोकस और हेल्थकेयर वर्कर्स की सजगता का फायदा देश को हुआ है. चूंकि, एक व्यक्ति को 0.5 ml वैक्सीन मिलना जरूरी है. इसलिए सरकार ने एक वॉयल से 10 की जगह 11 डोज निकालना शुरू कर दिया. ज्यादातर सरकार इसमें कामयाब भी रहीं और 41,11,516 डोज एक्स्ट्रा निकालीं.
वैक्सीनेशन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ही आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन बर्बाद होने की दर 10 फीसदी रही है. जबकि झारखंड सहित कुछ राज्य में यह 30 फीसदी तक पहुंची है.
ज्यादातर बर्बादी बीते मई माह तक देखने को मिली लेकिन एक्स्ट्रा डोज निकालने के साथ राज्यों ने इसकी भरपाई भी कर ली.
हाल ही में राज्यसभा में दी जानकारी के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अब सिर्फ बिहार 126743, दिल्ली 19989, जम्मू कश्मीर 32680, मणिपुर 12346, मेघालय 3518, पंजाब 13613, त्रिपुरा 27552 और उत्तर प्रदेश में 13207 डोज बर्बाद हुई हैं. बाकी सभी राज्यों ने एक्स्ट्रा डोज के जरिए भरपाई कर ली. ऐसे में बर्बादी रोकने से भी सरकार का काफी खर्चा बचा है.
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