social security numbers: केंद्र सरकार कार्यों में गतिशीलता लाने के लिए औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के लिए सोशल सिक्योरिटी नंबर (social security number) को पोर्टेबिलिटी की अनुमति दे सकती है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के कस्टमर्स के पास एक विशिष्ट संख्या होती है. असंगठित क्षेत्र के लिए भी विशिष्ट संख्या प्रणाली शुरुआत केंद्र सरकार ने की है.
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक संख्याओं की बहुलता को युक्तिसंगत (rationalized) बनाने की जरूरत है. विभिन्न सोशल सिक्योरिटी लाभों के लिए एक कर्मचारी के आधार से जुड़े खाता संख्या को औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में समान रहना चाहिए. एक कर्मचारी के लिए एक पंजीकरण संख्या उसके पूरे जीवन भर में एक ही रहनी चाहिए. सरकारी अधिकारी के मुताबिक इस प्रणाली को अंतिम रूप देने के लिए इस पर काम जारी है. मिंट (Mint) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पोर्टेबिलिटी विकल्प कर्मचारी की छुट्टी, औपचारिक क्षेत्र के भीतर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ट्रांसफर और असंगठित कार्यक्षेत्र से संगठित रोजगार पर एक बड़ा डेटा दे सकते हैं.
सरकार के इस कदम से बहुत से सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं. यदि एक कर्मचारी पंजीकृत हो जाता है तो पूरे चक्र में सोशल सिक्योरिटी संख्या एक ही रहेगी. यह प्रशासनिक परेशानी को भी कम करेगा और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देगा. श्रम और रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा ने बताया कि श्रम बाजार बदल रहा है. बाजार की स्थिति, आय के प्रस्ताव और अपनी सुविधा के आधार पर लोग औपचारिक से अनौपचारिक और गिग वर्क (gig work) की ओर बढ़ रहे हैं. यहां एक लचीली सामाजिक सुरक्षा पोर्टेबल प्रणाली फायदेमंद होगी. इस फैसले को अंतिम रूप देने के बाद विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी.
ईपीएफओ ने साल 2014-15 में ईपीएफ नंबर पोर्टेबिलिटी को लागू किया जो कि बेहद फायदेमंद साबित हुआ. क्योंकि इसने एक कर्मचारी को हर बार नौकरी बदलने पर एक नया खाता रखने खोलने के बजाय उसी पीएफ नंबर को बनाए रखने की अनुमति दी. एक बार सोशल सिक्योरिटी पर श्रम संहिता ( labour code) लागू हो जाने के बाद, पोर्टेबिलिटी विकल्प पर काम करना आसान हो जाएगा. सरकारी अधिकारी के मुताबिक सरकार का प्लान श्रम मंत्रालय की कई योजनाओं में एक ही नंबर रखने का है और यह फायदेमंद हो सकता है क्योंकि वे एक-दूसरे से टकराते नहीं हैं और बहु-मंत्रालय क्षेत्राधिकार (multi-ministry jurisdiction) की समस्या नहीं पैदा करते हैं.
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