गो फर्स्ट को लौटाना होगा यात्रियों का किराया : DGCA
गो फर्स्ट ने अपनी इस हालत के लिए जिस अमेरिकी एरोस्पेस कंपनी प्रैट और विटनी को जिम्मेदार बता रही है उसका आरोप है कि डिफॉल्ट करने का कंपनी का पुराना इतिहास है.
गो फर्स्ट (Go First) की ओर से NCLT में दिवालिया घोषित करने का आवेदन देने के बाद पिछले 24 घंटे में कई तरह की खबरें आई हैं. गो फर्स्ट ने अब 9 मई तक अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी है जो पहले 5 मई तक रद्द थीं और टिकट बुकिंग 15 मई तक बंद कर दिया है. डीजीसीए ने कंपनी को यात्रियों का रिफंड जल्द से जल्द जारी करने का निर्देश दिया है. साथ ही कंपनी की ओर से कहा गया है कि वह बैंकों को वन टाइम सेटलमेंट का ऑफर देगी.
इस बीच एयरलाइंस को ATF मुहैया कराने वाली कंपनी इंडियन ऑयल का कहना है कि वह बैंक गारंटी को भुनाकर अपना बकाया निकालेगी. इसके अलावा कंपनी को यह भी उम्मीद है कि अनसिक्योर्ड बिक्री का भी करीब 60 लाख डॉलर का भुगतान उसे मिल जाएगा. गो फर्स्ट ने अपनी इस हालत के लिए जिस अमेरिकी एरोस्पेस कंपनी प्रैट और विटनी को जिम्मेदार बता रही है उसका आरोप है कि डिफॉल्ट करने का कंपनी का पुराना इतिहास है. उस बीच कंपनी के पायलट और केबिन क्रू दूसरी एयरलाइंस में नौकरी की संभावनाओं को तलाश रहे हैं. गो फर्स्ट के डूबने का असर हवाई किरायों के साथ-साथ Bombay Burmah के स्टॉक पर देखने को मिला जिसकी Go First में 32.61 फीसदी हिस्सेदारी है.गुरुवार को Bombay Burmah का शेयर 2% से ज्यादा की कमजोरी के साथ बंद हुआ.
NCLT ने सुरक्षित रखा फै़सला
गो फर्स्ट की दिवालिया याचिका पर बृहस्पतिवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में सुनवाई भी हुई. यहां दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं और सुनवाई के बाद NCLT ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. हालांकि NCLT में जाने को लेकर गो फर्स्ट का कहना है कि इसके पीछे उसका उद्देश्य एयरलाइन को बंद करना नहीं बल्कि उसे उबारना है. बड़ा सवाल यह है कि वित्तीय संकट में फंसी यह एयरलाइन कब तक उबर पाती है.