दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही एयरलाइंस गो फर्स्ट (Go First) के दिवालिया होने का का असर बढ़ता नजर आ रहा है. खबर ये भी है कि है कि एक ग्लोबल एविएशन लीजिंग वॉचडॉग ने इस घटना के बाद भारत को नेगेटिव आउटलुक के साथ वॉचलिस्ट में डाल दिया है. इसका असर तमाम एयरलाइंस पर पड़ेगा जो लीज पर एयरक्राफ्ट लेती है. अब एयरलाइंस को लीज पर एयरक्राफ्ट लेना मुश्किल हो जाएगा.
इस बीच इंट्रिम रिजॉल्युशन प्रोफेशनल यानी IRP ने NCLT को यह बताया कि कंपनी ने अब तक किसी भी लेनदार का डिफॉल्ट नहीं किया है. बड़ी संख्या में विमान नहीं उड़ने के कारण कंपनी के ऊपर लेनदारियां बढ़ गई हैं जिस वजह से यह नौबत आई है. वहीं Go First का कामकाज बंद होने से Air India और IndiGo जैसी कंपनियां गैप को भरने के लिए अपनी उड़ानों की संख्या बढ़ाने की योजना पर काम कर रही हैं.
गो फर्स्ट (Go First) एयरलाइन के पास करीब 300 करोड़ रुपए हैं और इसके विमान जल्द से जल्द ये फिर उड़ान भर सकते हैं. वाडिया समूह ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में विमानन कंपनी में 290 करोड़ रुपए का निवेश किया था. सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के तहत विमानन कंपनी पैसे जुटा सकती है. ECLGS के तहत 82 करोड़ रुपए का ऋण Go first को मिल भी चुका है. बाक़ी बचे 208 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं. अगर लेनदारों की समिति मंजूरी दे देती है तो यह राशि निकाली जा सकती है.
इसके अलावा विमानन कंपनी को चार्टर उड़ानों से कुछ पैसा मिलना है और कुछ बकाया भी मिलना है. ऐसे में कुल मिलाकर 300 करोड़ रुपए होंगे और इससे कंपनी परिचालन की फिर से शुरू कर सकेगी. एयरलाइन के अंतरिम समाधान पेशेवर अभिलाष लाल पहले ही लेनदारों से दावे आमंत्रित कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि इसे 23 मई तक हासिल कर लिया जाएगा. एक कारोबारी योजना भी तैयार की जा रही है. वहीं विमानन कंपनी के एक अधिकारी का कहना है कि ‘परिचालन को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने की कोशिश की जा रही है.
बता दें NCLT में दिवालिया घोषित करने के लिए Go First ने याचिका डाली थी. दिवाला प्रक्रिया के लिए ये याचिका 10 मई को स्वीकार कर ली गई थी. 2 मई को कंपनी ने अपनी सभी उड़ानों पर पाबंदी लगा दी थी.