होली (Holi) आने वाली है. लेकिन ब्रज में अभी से रंग-गुलाल उड़ने शुरू हो गए हैं. ब्रज की होली (Holi) पूरे विश्व में फेमस है. मथुरा-वृंदावन के साथ ही बरसाना की लठामार होली, नंदगांव और दाऊजी का हुरंगा, दहकती होलिका से निकलता फालैन का पंडा, मुखराई का चरकुला नृत्य देखने के लिए दूर-दूर से लोग ब्रज क्षेत्र में पहुंचते हैं. इस बार ये सभी होली (Holi) के कार्यक्रम 11 मार्च से एक अप्रैल तक चलेंगे.
बसंत पंचमी के साथ हुई शुरुआत बसंत पंचमी के साथ ही ब्रज (Braj) में अबीर-गुलाल उड़ना शुरू हो जाता है. मंदिरों में बरसता रंग, हारमोनियम और ढोलक की थाप पर गाए जाते फाग के साथ ही दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं का उत्साह इस मौसम को आनंद से भर देता है. ऐसे में पूरे एक महीने तक ब्रज की अलग-अलग जगहों पर मनाई जाने वाली होली की तैयारी भी शुरू हो जाती है.
परिवार के साथ ब्रज की होली का लें मजा ब्रज की प्रसिद्ध होली (Holi) का पूरा शेड्यूल भी आ गया है. जिसमें मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhumi) की होली से लेकर बरसाना (Barsana) की प्रसिद्ध लठामार होली (Latthamar holi), वृंदावन, नंदगांव की होली, गोकुल की छड़ीमार होली और फालैन का हुरंगा शामिल है.
11 मार्च से होगी शुरुआत ब्रज में होली (Holi) की शुरुआत 11 मार्च से हो जाएगी. इस दिन महाशिवरात्रि पर सभी मंदिरों में होली (Holi) खेली जाएगी. इसके बाद 16 मार्च को रमणरेती में, 22 मार्च को नंदगांव में, 22 मार्च को बरसाना में लड्डू होली, 23 मार्च को बरसाना में लठ्ठमार होली, 24 मार्च को नंदगांव में लठ्ठमार होली, 25 मार्च को वृंदावन में रंगभरी शोभायात्रा, 25 मार्च को मथुरा में होली कार्यक्रम द्वारकाधीश मंदिर मथुरा में, 27 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली, 29 मार्च को मथुरा में चतुर्वेदी समाज का डोला आदि कार्यक्रम होंगे.
डेढ़ महीने चलता है कार्यक्रम ब्रजभाषी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीश कटारा कहते हैं कि ब्रज का रंग महोत्सव सबसे अलग है. ब्रज में होली (Holi) का कार्यक्रम करीब डेढ़ महीने तक चलता है. इस दौरान यहां के मंदिरों में रंगीन नजारा होता है. यहां के मंदिरों में प्राकृतिक फूलों से रंग तैयार किया जाता है और श्रद्धालुओं पर बरसाया जाता है. फिलहाल वृंदावन में कुंभ भी लगा हुआ है ऐसे में भक्तों के लिए होली के साथ ही कुंभ देखने का भी मौका है.
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