फ्यूचर ग्रुप ने शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. अपनी अपील में फ्यूचर ग्रुप ने एक सिंगल जज के आदेश को चुनौती दी है जिसमें सिंगापुर के इमर्जेंसी आर्बिट्रेटर (EA) के आदेश को बहाल रखा गया था. सिंगापुर के इमर्जेंसी आर्बिट्रेटर ने फ्यूचर रिटेल (FRL) को रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपये की डील पर आगे बढ़ने से रोक दिया था. इस डील के जरिए फ्यूचर ग्रुप अपना रिटेल कारोबार रिलायंस रिटेल को बेच रही है. हालांकि, अमरीका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन ने इस डील पर आपत्ति लगाई है. FRL की दाखिल की गई अपील पर 22 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच सुनवाई करेगी. एडवोकेट हर्षवर्धन झा के जरिए दाखिल की गई इस अपील में दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज के 18 मार्च को दिए गए आदेश को चुनौती दी गई है. इस आदेश में निर्देश दिया गया है कि किशोर बियाणी की FRL रिलायंस के साथ अपनी डील पर आगे कदम नहीं बढ़ाएगी. कोर्ट ने माना था कि ग्रुप ने जानबूझ कर सिंगापुर के आर्बिट्रेटर के आदेश का उल्लंघन किया है. जस्टिस जे आर मीधा ने फ्यूचर ग्रुप की उठाई गई सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया था और फ्यूचर ग्रुप और इसके निदेशकों पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वे दो हफ्ते के भीतर इस रकम को प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में जमा करें ताकि दिल्ली के गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को कोविड-19 की वैक्सीन लगाई जा सके. 18 मार्च का आदेश एमेजॉन की उस याचिका पर आया था जिसमें कंपनी ने 25 अक्टूबर 2020 के सिंगापुर की EA के आदेश के पालन करने का निर्देश देने की मांग की थी. इस आदेश में कहा गया था कि फ्यूचर ग्रुप रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपये की डील पर आगे नहीं बढ़ सकती है. हाई कोर्ट ने बियाणी को 28 अप्रैल को कोर्ट के सामने पेश होने का निर्देश दिया था. इसके अलावा कोर्ट ने उनकी संपत्तियों को भी अटैच करने का आदेश दिया था और कहा था कि वे एक महीने के भीतर अपनी मौजूदा संपत्तियों के ब्योरे का एफिडेविट कोर्ट में दाखिल करें.
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