मेरठ के जतिन अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत आक्रामक या बहुत ज्यादा रूढ़िवादी रवैया नहीं अपनाना चाहते. वह अपने निवेश पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखना चाहते हैं. जतिन जैसे निवेशकों के लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं. अगर आप डेट फंड से बेहतर रिटर्न चाहते हैं. इक्विटी फंड के मुकाबले जोखिम स्तर कम रखना चाहते हैं, तो एक हाइब्रिड म्यूचुअल फंड आपके निवेश लक्ष्य को पूरा कर सकता है.
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड कुल छह कैटेगिरी के होते हैं. इनमें Multi Asset Allocation Fund, Aggressive Hybrid Funds, Dynamic Asset Allocation या Balanced Advantage Fund, Conservative Hybrid Funds, Equity Savings Fund और Arbitrage Fund शामिल हैं.
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स बाकी पांच हाइब्रिड कैटेगिरी के मुकाबले बेहतर रिटर्न देते हैं. अगर 27 अक्टूबर, 2023 तक के आंकड़े देखें तो एग्रेसिव हाइब्रिड फंड ने पिछले तीन साल में औसतन 17%, पांच साल में 13% और 10 साल में 13.4% का रिटर्न दिया है. आइए समझते हैं कि एग्रेसिव हाइब्रिड फंड बेहतर प्रदर्शन क्यों करते हैं.
सबसे पहले तो यह जान लें कि एग्रेसिव हाइब्रिड फंड होते क्या हैं? सेबी की गाइडलाइन के मुताबिक एग्रेसिव हाइब्रिड फंड अपने एसेट का 65 फीसद से 80 फीसद तक इक्विटी एवं इक्विटी संबंधित विकल्पों में निवेश करते हैं. जबकि 20 से 35 फीसद रकम डेट से जुड़े विकल्पों में लगाई जाती है. प्योर इक्विटी फंड्स के मुकाबले इन फंड्स में जोखिम कम होता है, लेकिन इनमें रिटर्न किसी इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह ही मिलता है.
असल में जब शेयर बाजार ऊंचाई पर होता है तो इन फंड में ऊंचा से ऊंचा रिटर्न पैदा करने की क्षमता होती है, जिससे निवेशक को लंबी अवधि में अच्छी रकम जोड़ने में मदद मिलती है. इसी तरह जब शेयर बाजार नीचे होता है, तो एग्रेसिव हाइब्रिड फंड के डेट वाला हिस्सा निवेशक को राहत और स्थिरता प्रदान करता है.
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स को इक्विटी फंड माना जाता है, इसलिए इस पर टैक्स भी इक्विटी फंड्स की तरह लगता है. अगर आप एक साल के भीतर रिडीम करते हैं, तो रिटर्न पर 15% की दर से टैक्स लगेगा. एक साल के बाद रिडीम करने पर आपको 10 फीसद की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. हालांकि एक लाख रुपए तक का लाभ पूरी तरह से टैक्स फ्री है.
अब सवाल उठता है कि क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए? तो जो निवेशक अपने कोई वित्तीय लक्ष्य को हासिल कर चुके हैं, या जो निवेशक मध्यम स्तर का ही जोखिम लेना चाहते हैं, वे स्मॉलकैप-मिडकैप फंड्स जैसे ऊंचे जोखिम वाले विकल्पों की जगह एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स जैसे सुरक्षित विकल्पों की तरफ स्विच करने यानी पैसा निकालकर उनमें लगाने पर विचार कर सकते हैं. इक्विटी मार्केट यानी शेयर बाजार कई महीने से एक ऊंचे स्तर पर बना हुआ है, इसलिए तीन साल से ज्यादा का टारगेट रखने वाले निवेशक एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स में निवेश कर सकते हैं. 27 अक्टूबर तक के आंकड़े देखें तो पिछले तीन साल में इन फंड्स ने करीब 17 फीसद का रिटर्न दिया है.
वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरे उभरते और विकसित बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही है. इस वजह से यह भरोसा बना हुआ है कि भारतीय बाजार लॉन्ग टर्म में मजबूत रहेंगे. लेकिन कोई भी वित्तीय उत्पाद जोखिम रहित नहीं होता. ऐसे में एग्रेसिव हाइब्रिड फंड से जुड़े निवेश पर भी जोखिम हो सकता है. एग्रेसिव हाइब्रिड फंड में डेट के साथ ही इक्विटी कम्पोनेंट भी होता है, इसकी वजह से इनमें मध्यम से लेकर ऊंचे स्तर का जोखिम होता है. वैसे तो इस फंड की नेट एसेट वैल्यू में प्योर इक्विटी फंड्स के मुकाबले कम उतार-चढ़ाव होता है. लेकिन कम गुणवत्ता के डेट सिक्योरिटीज और स्मॉलकैप इक्विटीज में निवेश की वजह से निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ जाता है. इसलिए जतिन जैसे निवेशकों को सलाह है कि एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स में निवेश अपने जोखिम प्रोफाइल और लॉन्ग टर्म के गोल के लिहाज से ही करें.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।