इस साल 14 फरवरी और इसके आसपास राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश कई शहरों के जो लोग अपने पार्टनर के साथ लंबी राइड पर जाना चाहते थे वे जब पेट्रोल पंप पर तेल भराने के लिए रुके तो वे इसकी कीमत देखकर हैरान रह गए. कई शहरों में पेट्रोल की प्रीमियम वैराइटी का दाम 100 रुपये प्रति किलो के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर चुका था. यह पहली बार हुआ था जबकि पेट्रोल इस लेवल पर पहुंचा था. जिन शहरों में तेल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर के ऊपर चले गए थे उनमें जयपुर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, भोपाल, इंदौर, अलीराजपुर, बुरहानपुर, रीवा, सतना जैसे शहर शामिल थे. महाराष्ट्र के परभणी में पेट्रोल 100 रुपये के पार चला गया था. तेल की ऊंची कीमतों को देखते हुए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने जनवरी अंत में इस पर वैट को घटाने का फैसला किया था. राजस्थान में पेट्रोल और डीजल पर राज्य सरकार क्रमशः 36 फीसदी और 26 फीसदी टैक्स वसूलती है. टैक्स को 2 फीसदी कम किया गया और इस तरह से पेट्रोल 1.34 रुपये और डीजल 1.31 रुपये सस्ता हो गया. हालांकि, यह कटौती इतनी कम थी कि इससे तेल के दाम में न के बराबर ही कटौती हो पाई. चारों मेट्रो शहरों में पेट्रोल के दाम सबसे ज्यादा मुंबई में हैं. वहां फरवरी-मार्च में सामान्य पेट्रोल 97.57 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया. पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार ऊपर चढ़ने के साथ ही सरकार ने साल के ज्यादातर वक्त डिमांड में तेज गिरावट के बावजूद अपनी जेबें भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि केंद्र ने मौजूदा फिस्कल के पहले 10 महीने में पेट्रोल और डीजल से 2.94 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. सालाना आधार पर यह टैक्स कलेक्शन बढ़कर 3.528 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है. 2019-20 में केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर बतौर एक्साइज ड्यूटी 3.34 लाख करोड़ रुपये कमाए थे. केंद्र और राज्य सरकारों के पेट्रोल और डीजल पर वसूले जाने वाले टैक्स 60 फीसदी से भी ज्यादा हैं. इस तरह से भारत में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम दुनिया में सबसे ऊपर बने हुए हैं. ठाकुर ने ये भी बताया कि पिछले छह साल में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र का वसूला जाने वाला टैक्स 300 फीसदी बढ़ गया है. केंद्र सरकार ने 2014-15 में तेल पर 72,160 करोड़ रुपये की कमाई की थी. इसमें से पेट्रोल पर 29,279 करोड़ रुपये एक्साइज ड्यूटी के जरिए वसूले, जबकि डीजल पर सरकार ने 42,881 करोड़ रुपये हासिल किए थे.
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