FPO: किसानों की आमदनी बढ़ाने और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाए जा रहे हैं. सरकार इस काम पर 6,865 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
इन FPO को 2 करोड़ रुपये तक का लोन दिया जा रहा है साथ ही ब्याज में भी छूट प्रदान की जा रही है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड सरकार ने निर्धारित किया है. इसके जरिए करीब 4,000 करोड़ रुपये का लोन वितरित हो चुका है.
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है, “कोविड-19 (Covid-19) के दौर में पूरे विश्व की तरह ही हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है. पूर्व में भी ऐसी स्थिति आ चुकी है और दुनिया मंदी के दौर से गुजरी है, लेकिन ऐसे में भी हमारे गांवों की अर्थव्यवस्था ने खुद को मजबूती से टिकाए रखा है.”
उन्होंने कहा है कि कोविड-19 (Covid-19) के बावजूद किसानों ने परिश्रमपूर्वक पहले से अधिक उपज पैदा की व अधिक उपार्जन हुआ.
गुरुवार को राष्ट्रीय कृषि कार्यबल, इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा ‘कृषि लागत प्रबंधन’ पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि व गांव, दोनों की अर्थव्यवस्था देश की रीढ़ है.
उन्होंने कहा कि यदि ये सुरक्षित हैं तो किसी भी परिस्थिति में पार पाना आसान हो जाता है. इसलिए सरकार का खेती-किसानी को मुनाफे में लाने पर पूरा जोर है.
FPO यानि किसान उत्पादक संगठन, (कृषक उत्पादक कंपनी) किसानों का एक समूह होता है, जो कृषि उत्पादन कार्य से संबंधित और कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाते हैं.
एक समूह बनाकर कोई भी समूह को कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड करवा सकता है. इस योजना का उद्देश्य देश में कृषि सेक्टर को आगे बढ़ाने का है.
इतना ही नहीं इस योजना के तहत केंद्र सरकार की तरफ से ऐसे संगठन को वित्तीय सहायता भी दी जाती है.
वहीं, कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड होने के बाद किसानों के संगठनों को वही फायदे मिलेंगे, जो किसी कंपनी को मिलते हैं.
केंद्र सरकार ने किसानों को विशेष सुविधाएं पहुंचाने के लिए ये योजना शुरू की है, ताकि खेती से किसान उसी तरह मुनाफा कमा सके जैसा कारोबार से कमाया जाता है.
इसके जरिए किसान अपने उत्पाद को निर्यात भी कर सकता है. हालांकि इसके लिए लाइसेंस लेना जरूरी है.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वेयर हाउस का उपयोग सीधे किसानों के लिए हो सके, इसके लिए खेतों के पास निर्माण की नीति सरकार ने बनाई है, जिस पर काम प्रारंभ हो चुका है, ताकि वे उचित समय पर अच्छे भाव पर उपज बेच सकें.
कृषि क्षेत्र में दिक्कतों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार काम कर रही है, ताकि किसानों को औने-पौने दाम पर उपज नहीं बेचना पड़े.
इस सिलसिले में एग्रीकल्चर रिफॉर्म्स भी किए गए हैं. मंडियों के बाहर उपज बेचने पर कोई टैक्स नहीं है. किसान अपने घर-खेत से उपज कहीं भी बेच सकता है.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए भी प्रावधान किया गया है. फसल बीमा योजना भी है. छोटे किसानों के लिए ये नई व्यवस्थाएं बहुत फायदेमंद साबित होंगी.
उन्होंने कहा कि खेती के प्रति नई पीढ़ी की भी रुचि बढ़ाना आवश्यक है. हमारी खेती और सशक्त होने पर दुनिया में भी भारत का योगदान बढ़ सकता है.
भारत आज अनेक कृषि उपज के मामले में विश्व में नंबर एक या दो पर है. पहले कृषि का उत्पादन बढ़ाना समय की मांग थी.
सरकार की कृषि हितैषी नीतियों व किसानों के परिश्रम ने आज खाद्यान्न की समस्या को समाप्त कर दिया, अब हमारा ध्यान उत्पादकता बढ़ाने पर है.
इस दिशा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय व कृषि वैज्ञानिक भी सतत काम कर रहे हैं. बीज से लेकर नई टेक्नॉलाजी तक, सारे साधन किसानों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा हैं.
कम रकबे में अच्छी फसलें, प्रोसेसिंग व भंडारण सुविधाएं, एफपीओ, फॉर्मिंग कैपेसिटी बढ़ाने, आदान की उपलब्धता, इन सबके लिए केंद्र सरकार ने अनेक ठोस कदम उठाए हैं.
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