कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच देशभर में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बने अनिश्चितता के माहौल के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange) लगातार मजबूत हुआ है. अर्थव्यवस्था के दबाव के बावजूद देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange) अभी तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है. 28 मई को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह के अंत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 598.165 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 598.165 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. इस सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 5.271 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इससे पूर्व सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 592.894 अरब डॉलर के स्तर पर था.
कोरोना संक्रमण के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ा है. पिछले एक साल से अर्थव्यवस्था के लगभग सभी संकेतक गिरावट का प्रदर्शन कर रहे हैं. औद्योगिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ी हुई हैं. इसी तरह घरेलू डिमांड में भी काफी कमी आई है, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत का खजाना लगातार मजबूत हो रहा है.
गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) की गणना आधिकारिक तौर पर अमेरिकी डॉलर में की जाती है, इसमें डॉलर के अलावा यूरो, पौंड, येन जैसी अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं को शामिल किया जाता है.
विदेशी मुद्रा भंडार के मजबूत होने के साथ ही देश का गोल्ड रिजर्व (स्वर्ण भंडार) भी मजबूत हुआ है. 28 मई को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह के बारे में जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार देश का स्वर्ण भंडार भी बढ़कर 38.106 अरब डॉलर हो गया है. स्वर्ण भंडार में बीते एक सप्ताह के दौरान ही करीब 2,650 लाख डॉलर के मूल्य के सोने की बढ़ोतरी हुई है.
स्वर्ण भंडार अर्थात सोने का भंडार किसी राष्ट्रीय केंद्रीय बैंक (सेंट्रल बैंक) द्वारा रखा गया स्वर्ण होता है, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से जमाकर्ताओं, नोट धारकों या व्यापारिक साथियों को भुगतान करने के वादे को भुनाया जाना होता है. इसका उपयोग एक मूल्य भंडार के रूप में या राष्ट्रीय मुद्रा के मूल्य का समर्थन करने के लिए भी किया जाता है.
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सके. इस तरह की मुद्राएं सिर्फ केंद्रीय बैंक जारी करता है. यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं. ज्यादातर मुद्राएं डॉलर, यूरो और येन (कुछ प्रतिशत तक) में शामिल होती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है.
बीते शुक्रवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की रिपोर्ट जारी करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास ने बताया था कि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में बढ़ोतरी के कारण देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी दर्ज की गई है. जून के पहले कारोबारी सप्ताह के दौरान एफसीए में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि इसका आधिकारिक आंकड़ा अगले सप्ताह ही मिल सकेगा. इसके बावजूद एफसीए में हुई इस बढ़ोतरी के कारण विदेशी मुद्रा भंडार के मौजूदा स्तर (598.165 अरब डॉलर) से बढ़कर 600 अरब डॉलर से अधिक हो जाने की उम्मीद की जा रही है.
विदेशी मुद्रा भंडार की मौजूदा मजबूत स्थिति आने वाले दिनों में भारत के आर्थिक विकास के लिए काफी सहायक सिद्ध होगी. क्योंकि जैसे-जैसे कोरोना का संक्रमण घटता जाएगा, वैसे-वैसे देश की आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां और बढ़ती जाएंगी. ऐसे वक्त में विदेशी मुद्रा भंडार विदेश से आवश्यक सामानों के निर्बाध आयात में काफी सहायक सिद्ध होगा.
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