अक्टूबर की बेमौसम बरसात कंगाली में गीले आटे जैसे हालात पैदा कर रही है. इस साल गेहूं की उपज पहले ही कम है और धान का रकबा घटने की वजह से चावल उत्पदान भी घटने का अनुमान है. और अब जैसे ही धान की कटाई का सीजन आया तो बेमौसम बरसात शुरू हो गई. हालात ऐसे हैं कि खेतों में कटी फसल तैर रही है. कई जगहों पर बरसात इतनी तेज है कि जो फसल कटी नहीं है वह भी ढह चुकी है. इस बेमौसम बरसात की वजह से अब धान की उपज में और कमी की आशंका बढ़ गई है. और यह आशंका किसी एक राज्य की नहीं है बल्कि देश के आधा दर्जन राज्य भारी बरसात की चपेट में हैं.
मौसम विभाग के आंकड़े देखें तो अक्टूबर के पहले 10 दिन दिल्ली में सामान्य के मुकाबले 8 गुना अधिक बरसात हुई है. कुछ ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश का भी है, जिसे मानसून सीजन के दौरान सूखे का सामना करना पड़ा था. इसी तरह अक्टूबर में अबतक हरियाणा में 7 गुना, उत्तराखंड में 6 गुना, राजस्थान में 5 गुना और मध्य प्रदेश में 3 गुना अधिक बरसात हुई है. पूरे देश का औसत देखें तो अक्टूबर के पहले 10 दिनों में सामान्य के मुकाबले 67 फीसद अधिक बरसात हुई है और इन सभी राज्यों में भारी बरसात की वजह से खेतों में खड़ी खरीफ की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि बरसात की वजह से खेतों में पक चुकी धान की फसल को नुकसान पहुंच सकता है. उत्तर प्रदेश में धान की 1509, मसूरी और सुगंधा किस्मों की उपज में 7-8 फीसद गिरावट की आशंका है और हरियाणा में भी 1121 बासमती धान की उपज एक से डेढ़ फीसद घट सकती है लेकिन नुकसान की यह आशंका सिर्फ खरीफ फसलों को लेकर ही नहीं है. बरसात की वजह से रबी की बुआई भी प्रभावित हो सकती है.
भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. धीरज सिंह का कहना है कि अक्टूबर में हो रही इस बरसात की वजह से प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में सरसों की खेती में 15 दिन पिछड़ सकती है. इस साल देश में गेहूं की उपज पिछले साल के मुकाबले घटी है और चावल का उत्पादन भी पिछले साल से कम अनुमानित है. सरकार के गोदामों में भी अनाज का स्टॉक 5 साल के निचले स्तर पर है और अनाज की महंगाई बढ़ने लगी है. ऐसे में बेमौसम बरसात की वजह से धान और अन्य रबी फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है और रबी की बुआई में देरी होती है तो खाद्य महंगाई की चुनौती और बढ़ जाएगी.