देश में ऑनलाइन फूड ऑर्डर बढ़े हैं. साथ ही इनकी डिलीवरी में भी इजाफा हुआ है. लेकिन फूड डिलीवरी करने वाले कर्मचारियों को इस वृद्धि का फायदा नहीं उल्टा नुकसान हुआ है. भारत में फूड डिलीवरी वर्कर्स की मासिक आय में बड़ी गिरावट आई है. नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER ) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि 2019 और 2022 के बीच फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले श्रमिकों की औसत वास्तविक मासिक आय में बड़ी गिरावट आई है. महंगाई और ईंधन लागत में हो रही लगातार बढ़ोतरी ने इन वर्कर्स की आय को प्रभावित किया है.
फूड डिलीवरी वर्कर्स की घटी आय
एनसीएईआर के इस रिपोर्ट के अनुसार, जहां लंबी शिफ्ट (11 घंटे से अधिक) में काम करने वाले कर्मचारियों की वास्तविक आय 2019 में 13,470 रुपए थी, वह 2022 में 11.1 फीसदी घटकर 11,963 रुपए रह गई. जबकि पांच घंटे की शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों की वास्तविक आय में 10.4 फीसदी की गिरावट आई है. इन कर्मचारियों की आय 2019 में 7,999 रुपए से घटकर 2022 में 7,157 रुपए रह गई. वहीं काम के घंटों को देखें तो शॉर्ट-शिफ्ट वाले कर्मचारियों के लिए काम के घंटे समान रहे, जबकि लंबी-शिफ्ट वाले कर्मचारियों के काम के घंटे 9.3 घंटे से 19 फीसदी बढ़कर 10.9 घंटे प्रति दिन हो गए.
रिपोर्ट में खुलासा
फूड डिलीवरी वर्कर्स के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव आकलन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, फूड डिलीवरी वर्कर्स ने बताया कि समय के साथ वास्तविक आय कम हो गई है. यह मुख्यतः मुद्रास्फीति के कारण है. लंबी शिफ्ट वाले वर्कर्स के लिए, बढ़ते ट्रैफ़िक और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण इनकी आय प्रभावित हो रही है. सभी श्रमिकों की वास्तविक आय कम हो गई है क्योंकि लंबी शिफ्ट वाले श्रमिकों की मासिक आय से मासिक व्यय को पूरा करने की क्षमता भी कम हो गई है.
यह एनसीएईआर के तीन-भाग वाले अनुसंधान कार्यक्रम की पहली रिपोर्ट है जो खाद्य वितरण मंच श्रमिकों के रोजगार पैटर्न, आय और कार्य वातावरण पर केंद्रित है. इस रिपोर्ट में 28 शहरों में एक कंपनी के 924 खाद्य वितरण प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों की गतिविधि की स्थिति (वर्तमान में प्लेटफ़ॉर्म पर काम कर रहे और जो प्लेटफ़ॉर्म छोड़ चुके हैं), कार्यकाल स्तर (वे प्लेटफ़ॉर्म पर कितने समय से हैं), और उनके काम के घंटे को शामिल किया गया है.