हम में से ज्यादातर लोग अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग को लेकर अक्सर कैजुअल एप्रोच लेते हैं. लेकिन, मौजूदा दौर में रिटायरमेंट के लिए एक पुख्ता प्लानिंग सबसे अहम हो गई है. लेकिन, हम कई ऐसी आम गलतियां करते हैं जिनसे लोगों को रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं. रिटायरमेंट के बाद हम सब चाहते हैं कि हमारे पास पर्याप्त पूंजी हो जिससे एक ऐसे दौर में हमारे रोजाना के खर्च चलते रहें. लेकिन, ऐसा करने के लिए आपको एक अच्छी प्लानिंग की जरूरत होती है और रिटायमेंट के लिए एक अच्छी पूंजी तैयार करने की राह में आने वाले अवरोधों से बचना चाहिए. ऐसे में हम यहां ऐसी पांच गलतियों का जिक्र कर रहे हैं जिनसे लोगों को रिटायरमेंट की प्लानिंग में बचना चाहिए.
1. देरी से प्लानिंग करना रिटायरमेंट के लिए पूंजी इकट्ठी करने के सफर में ज्यादातर लोगों से सबसे बड़ी गलती ये होती है कि वे इसकी शुरुआत काफी देर से करते हैं. मिसाल के तौर पर, कई लोगों के लिए 25-26 साल की उम्र में कार लेना एक ज्यादा बड़ी जरूरत होती है. और वे रिटायरमेंट प्लानिंग की बजाय कार लेने और उसके लिए कार लोन ले लेते हैं. इससे आपकी रिटायरमेंट की बचत की प्लानिंग को तगड़ा झटका लगता है. रिटायरमेंट की पूंजी इकट्ठी करने का सबसे बड़ा फायदा तब है जबकि आप नौकरी लगने के बाद से ही इसके लिए पैसे जोड़ना शुरू कर दें. इसके लिए लक्ष्य तय करें और उस हिसाब से बचत शुरू कर दें.
2. अपना फाइनेंशियल प्लान न बनाना रिटायरमेंट के बाद के जीवन में वित्तीय दिक्कतों से बचने के लिए आपको एक पुख्ता प्लान बनाना चाहिए. इसमें अपनी अनुमानित रिटायरमेंट की उम्र, आपके रहन-सहन के खर्च, मेडिकल पर होने वाले खर्च जैसी जरूरी चीजों को शामिल किया जाना चाहिए. आपको अपने लिए वर्तमान और भविष्य के लिए फाइनेंशियल गोल्स बनाने चाहिए. साथ ही अपने रिटायरमेंट के लिहाज से किए जा रहे निवेश से बीच में रकम निकासी नहीं करनी चाहिए.
3. हेल्थकेयर पर खर्च की अनदेखी करना मौजूदा वक्त में हम जिस तरह से एक महामारी का सामना कर रहे हैं उसने हमें हेल्थकेयर को लेकर ज्यादा सजग बनाया है. गुजरे कुछ वर्षों में इलाज के खर्च में तगड़ा इजाफा हुआ है. ऐसे में अगर आप को फिलहाल कोई बीमारी नहीं भी है तो भी आपको भविष्य के लिए इस लिहाज से इंतजाम करने होंगे. हेल्थकेयर के लिए जितनी जल्दी हो हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए. साथ ही इलाज के लिए एक अलग फंड का भी इंतजाम करना चाहिए.
4. बेवजह के खर्च रिटायरमेंट के बाद के लिए फंड इकट्ठा करने की राह में सबसे बड़ी बाधा लोगों के बेवजह के खर्च होते हैं. मौजूदा दौर में खरीदारी के लिए फाइनेंस के इतने जरिये मौजूद हैं कि अगर आपके पास पैसे नहीं भी हैं तो भी आप आसानी से मनमर्जी की खरीदारी कर लेते हैं. लेकिन, ये चीज कुछ वक्त के लिए आपको आनंद दे सकती है, लेकिन इससे आपकी सेविंग्स को चोट लगती है और इसका सीधा असर आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग पर पड़ता है. हर हालत में अपने हर महीने होने वाली सेविंग्स को बचाने की कोशिश करनी चाहिए. एक तय रकम हर महीने बचाने की आदत ही आपके वित्तीय लक्ष्य पूरे करने में मददगार साबित होती है.
3. पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई न करना अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर लोग अपनी सेविंग्स को FD या PPF जैसे सुरक्षित साधनों में ही लगाते हैं. लेकिन, आपको म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक्स में भी खुद को डायवर्सिफाई करना चाहिए. लोग रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली अपनी पूंजी भी FD में लगा देते हैं. एक समझदारी भरे तरीके से स्टॉक्स में लगाया गया पैसा आपको ज्यादा रिटर्न देने में मददगार साबित हो सकता है. हालांकि, इसके लिए बेहतर होगा कि आप किसी फाइनेंशियल प्लानर के साथ योजना के हिसाब से निवेश पर आगे बढ़ें.
5. अपनी पूंजी अपने हाथ भारतीय परंपरा में यह आम बात है कि पेरेंट्स अपनी पूंजी को बच्चों की पढ़ाई और फिर उनकी शादी और उनके लिए घर खरीदने पर खर्च कर देते हैं. अंत में उनके पास अपने रिटायरमेंट के लिए ज्यादा कुछ नहीं बचता है. अपने रिटायरमेंट के लिए तय की गई रकम को खर्च करने की गलती न करें. आजकल बच्चों की पढ़ाई के लिए एजूकेशन लोन मौजूद हैं. इससे बच्चों की जिम्मेदारियां भी तय होती हैं. साथ ही आपके पास पूंजी रहने पर आपकी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी में आप किसी पर आश्रित नहीं होते हैं. इन तमाम गलतियों से बचकर आप अपने लिए रिटायरमेंट के बाद भी अपनी लाइफस्टाइल को कायम रख सकते हैं और जीवन की जरूरतों के लिए मुश्किल हालात में नहीं फंसते. निवेश और पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिए किसी फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह से निवेश के रास्ते को तय करना बेहतर साबित हो सकता है.
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