सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए नई टाइमलाइन ला सकती है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि आने वाले दिनों में इसके लिए फाइनेंशियल बिड्स आमंत्रित की जाएंगी. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण या इसे बंद करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. पुरी ने कहा कि सरकार एयर इंडिया को बेचे जाने तक इसे चलाना जारी रखेगी.
नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री पुरी ने कहा, “हम इसके लिए एक और टाइमलाइन की सोच रहे हैं. फाइनेंशियल बोली लगाने के लिए 64 दिन का वक्त मिलेगा. इसके बाद ही एयरलाइन को किसे सौंपना है इसका फैसला होगा.”
वे टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकनॉमिक कॉनक्लेव के सत्र में बोल रहे थे. सरकार ने एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 2007 में इंडियन एयरलाइंस के साथ मिलने के बाद से ही ये घाटे में चल रही है.
पुरी ने कहा, “हमारे पास कोई विकल्प नहीं है, या तो हम इसका निजीकरण करें या फिर हम इसे बंद कर दें. हम हर दिन 20 करोड़ रुपये का घाटा उठा रहे हैं. ऐसा तब है जबकि एयर इंडिया अब कमाई कर रही है. इसके घाटे में जाने की वजह यह है कि इसके कुप्रबंधन के चलते इस पर 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है.”
एयर इंडिया को चलाने के लिए वित्त मंत्री से पैसे मांगने को लेकर उन्होंने कहा, “मेरी क्षमता नहीं है कि मैं निर्मला जी के पास जाऊं और उनसे पैसों की मांग करूं.”
उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण की पहले की कोशिशें इस वजह से सफल नहीं हो पाईं क्योंकि इन्हें पूरे मन से नहीं किया गया था.
पुरी ने कोरोना से उबर रहे डोमेस्टिक सिविल एविएशन सेक्टर के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास इस बात का अंदाजा नहीं होता कि यह वायरस फिर से खड़ा हो जाएगा तो हम गर्मियों के लिए 1 अप्रैल से घरेलू उड़ानों को 100 फीसदी खोल देते.” उन्होंने एयरपोर्ट्स के निजीकरण को लेकर कांग्रेस की आलोचना भी की.
पुरी ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के एयरपोर्ट्स के निजीकरण से 2006-2020 के बीच AAI को 29,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला है.