बढ़ती जनसंख्या और तेजी से कम हो रहे पेड़ों के कारण तालाबों और नदियों का जलस्तर में लगातार कमी आ रही है. तेजी से कम हो रहे जलस्तर के कारण सबसे ज्यादा समस्या का सामना किसानों को करना पड़ रहा है. क्योंकि जलस्तर में कमी से उन्हें सिंचाई करने में परेशानी आ रही है. किसानों की समस्या को दूर करने के लिए बिहार की लड़की ने सिंचाई की नई तकनीक हाइड्रोजैल यानी पानी की गोली बनाने में सफलता पाई है. इसे बनाने वाली बिहार के नालंदा निवासी प्रियम्बदा प्रकाश फिल्हाल त्रिपुरा विश्वविद्यालय से एमटेक कर रही हैं.
क्या है हाइड्रोजैल और कैसे होगी खेती
जीबी पंत (गोविंद बल्लभ पंत) राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण, सतत विकास संस्थान कोसी-कटारमल के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत त्रिपुरा यूनिवर्सिटी ने हाइड्रोजैल को बनाया है. वहीं सेल्यूलोज नैनोक्रिस्टल निकालने में सफलता अर्जित की है. वहीं हाइड्रोजैल गोलियों की अवशोषण क्षमता को 600 फीसदी तक बढ़ाने में भी सफलता मिली है. चार किलो हाइड्रोजैल से एक हेक्टेयर खेत की सिंचाई की जा सकती है. इन गोलियों को मिट्टी में दबा देने पर यह एक साल तक फायदा दे सकती हैं. इसका उपयोग कर किसान अपने कृषि उत्पादन को 30% तक बढ़ा सकते हैं.
क्या होगा फायदा
प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले सेल्यूलोज बेस्ड हाइड्रोजैल आसानी से सूरज की गर्मी से खत्म हो जाएंगे और इससे किसी भी प्रकार का कोई प्रदूषण नहीं होगा. यह आसानी से पानी को सोखता है और भूमि में पानी का रिसाव भी करता है. 35 से 40 सेल्सियस में यह हाइड्रोजैल कारगर है. त्रिपुरा यूनिवर्सिटी के केमिकल और पॉलीमर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डॉ. सचिन भलाधरे के नेतृत्व में प्रियम्बदा प्रकाश और दीपांकर दास की टीम को हाइड्रोजैल बनाने में सफलता मिली. इस रिसर्च में हाइड्रोजैल से निर्धारित मात्रा में पानी विवरण के कारण पृथ्वी में पानी का ठहराव 50 से 70 प्रतिशत बढ़ जाता है. इस हाइड्रोजैल के कारण फसल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेलने में सक्षम होगी.