रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश में नकली या जाली नोट (Fake Currency) का सर्कुलेशन 30 फीसदी घटा है. ये ऐसा दौर रहा है जबकि पूरा देश और दुनिया कोविड महामारी से जूझ रहा है. भारत लंबे वक्त से नकली करेंसी की समस्या से जूझ रहा है और ऐसे में महामारी के दौर में इसमें गिरावट आना न सिर्फ चौंकाता है बल्कि इसकी वजहें टटोलने पर भी मजबूर करता है.
500 रुपये के नोट
RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान केवल 500 रुपये के नकली नोटों (Fake Currency) में ही इजाफा हुआ है. 2020-21 में जाली करेंसी की संख्या 2,08,625 रही है, जो कि इससे पहले यानी 2019-20 में 2,96,695 थी.
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 500 रुपये के नोट्स में करीब 31 फीसदी का उछाल आया और इनकी संख्या बढ़कर 39,453 पर पहुंच गई. इससे पहले 500 के जाली नोटों की संख्या 30,000 थी, जबकि इससे एक और साल पहले यानी 2018-19 में ये संख्या 22,000 थी.
गुजरे दो वित्त वर्षों के दौरान RBI और दूसरे बैंकों ने 500 रुपये के करीब 70,000 नकली नोट (Fake Currency) पकड़े थे. इनकी कुल वैल्यू करीब 35 लाख रुपये बैठती है.
2000 रुपये के नोट
दूसरी ओर, 2,000 रुपये के नकली नोटों (Fake Currency) की तादाद में 48 फीसदी की बड़ी गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 2,000 रुपये के 8,800 नकली नोट पाए गए हैं, जबकि इससे एक साल पहले ये आंकड़ा 17,002 और इससे एक साल और पहले ये आंकड़ा 21,848 पर था.
100 रुपये के नोट
100 रुपये के नकली नोटों की बात की जाए तो ये इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं. RBI के मुताबिक, 100 रुपये के जाली नोटों की संख्या 2020-21 में 1,10,736 रही है. इससे एक साल पहले ये तादाद 1,68,739 थी, जबकि इससे एक और साल पहले ये आंकड़ा 2,21,218 था.
जाली करेंसी में गिरावट की क्या है वजह?
हालांकि, जाली नोटों (Fake Currency) की संख्या में गिरावट के पीछे RBI ने कोई खास वजह नहीं बताई है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं.
इसकी एक वजह लॉकडाउन है. आवाजाही की पाबंदियों के चलते फर्जी नोटों (Fake Currency) के सर्कुलेशन पर भी लगाम लगी है.
फर्जी करेंसी को नियमित तौर पर दूसरे देशों से भारत में भेजा जाता है. लॉकडाउन के चलते आवाजाही पर बड़े तौर पर लगाम लगी है और इससे फर्जी करेंसी भारत में दाखिल नहीं हो पाई.
इसकी दूसरी वजह सीमाओं पर सख्त निगरानी है.
डिजिटल ट्रांजैक्शंस में इजाफा
जाली करेंसी (Fake Currency) का इस्तेमाल घटने की एक और वजह डिजिटल ट्रांजैक्शंस में हो रहा इजाफा है. गुजरे कुछ वर्षों में देश में डिजिटल लेनदेन में बड़ा इजाफा हुआ है. खासतौर पर महामारी के दौरान लोगों ने नकदी की जगह पर डिजिटल लेनदेन को तरजीह दी है.
देश में डिजिटल लेनदेन का वॉल्यूम 2020-21 के दौरान 22.3 अरब रहा है जो कि इससे एक साल पहले 12.5 अरब था. वैल्यू के आधार पर ये आंकड़ा 2020-21 में 41 लाख करोड़ रुपये रहा है जो कि इससे ठीक एक साल पहले 21.3 लाख करोड़ रुपये था.
RBI ने भी अपनी ओर से लोगों को फर्जी करेंसी (Fake Currency) के बारे में जागरूक करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. रिजर्व बैंक ने एक बड़ी मुहिम चलाकर लोगों को बताया है कि वे कैसे असली और नकली नोट को पहचान सकते हैं. इसके चलते भी फर्जी करेंसी चल नहीं पा रही है.
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