सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अर्पित को जब निराशा हाथ लगी तो उन्होंने प्राइवेट सेक्टर की तरफ रुख किया. उनकी बायजूस में अच्छी सैलरी पर नौकरी की भी लग गई.अर्पित अपने घर में कमाने वाले इकलौते हैं.इसलिए घर पर अपनी जिम्मेदारियों का ख्याल करते हुए उन्होंने ऑफिस में अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई.वो हमेशा ऑफिस के काम के लिए 24 घंटे तैयार रहे.लेकिन अर्पित का सपना तब टूट गया जब इतनी मेहनत के बाद भी उनकी कंपनी ने उन्हें काम से निकालन दिया. हालांकि इस पर भी अर्पित अपनी कंपनी से नाराज नहीं है.वो जानते हैं कि संकट से जूझ रही byjus अपने खर्चों को कम करने के लिए छंटनी का सहारा ले रही है.byjus की छंटनी का शिकार होने वाले अरपित इकलौते नहीं है. अपना खर्च घटाने के लिए बायजू ने 1,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाएगी. कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या फिलहाल 50 हजार है. दरअसल बायजूज एक अरब डॉलर के कर्ज भुगतान को लेकर अमेरिका में कानूनी लड़ाई रह रही है. और अपने खर्चों को कम करने के लिए वो हर संभव प्रयास कर रही है.
तो एक तरफ जहां प्राइवेट कंपनियां छंटनी कर रही है दूसरी तरफ सरकारी नौकरी हैं जहां करीब 10 लाख पद खाली है. वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की ओर से तैयार की गई वार्षिक पे एंड अलाउंस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार में करीब 9.64 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की नौकिरयों में स्वीकृत पदों और कार्यरत कर्मचारियों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है.केंद्र शासित राज्यों को छोड़कर केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले आम कर्मचारियों की स्वीकृत पदों की संख्या मार्च 2022 में 39 लाख 77 हजार थी. जबकि साल 2021 मार्च में यह संख्या 40 लाख 35 हजार थी. रिपोर्ट के मुताबिक स्वीकृत पदों की संख्या तीन सालों में सबसे कम रही है.अगर कार्यरत कर्मचारियों की बात करें तो इनकी संख्या साल 2010 के बाद सबसे कम रही है.वर्तमान में पदों पर आसीन कर्मचारियों की संख्या 30 लाख 56 हजार से घटकर 30 लाख 13 हजार रह गई है.
हालांकि नौकरी के बाजार में ईपीएफओ के आंकड़े जरूर कुछ राहत दे रहे हैं. EPFO की तरफ से जारी पेरोल से जुड़ा आंकड़ा बताता है कि देश में नौकरी करने वालों की संख्या बढ़ी है. अप्रैल में EPFO ने अपने नेट बेस पर कुल 17 लाख 20 हजार मेंबर्स को जोड़ा है. इनमें से करीब आधे लोग पहली बार ईपीएफओ के सोशल सिक्योरिटी दायरे में आए हैं. श्रम मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2023 में ईपीएफओ के साथ जुड़े 54.15 फीसद कर्मचारी 25 साल से कम उम्र के हैं.इन आंकड़ो से पता चलता है कि औपचारिक क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है.
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